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रायपुर:तीन दिवसीय मैनपाट महोत्सव का शुभारम्भ, शोध एवं अध्ययन केंद्र के लिए 85 एकड़ भूमि आबंटन की घोषणा

मैनपाट अपनी खूबसूरती के साथ सरगुजिहा, भोजपुरी तथा तिब्बती संस्कृति का संगम रायपुर, 13 फरवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के सरगुजा स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मैनपाट के रोपखार जलाशय के पास 12 से 14 फरवरी तक आयोजित तीन दिवसीय मैनपाट महोत्सव का दीप प्रज्वलित कर शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होंने मैनपाट में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय के शोध एवं अध्ययन केंद्र के लिए 85 एकड़ भूमि आबंटन की घोषणा की। श्री बघेल ने मैनपाट में पुलिस मेस के लिए 1 करोड़ और स्टेज निर्माण की स्वीकृति के साथ ही करदना से कदनई एवं केनापरा से घोघरा सड़क निर्माण, सीतापुर में पीजी कालेज भवन निर्माण और सीतापुर में मांड डायवर्सन में नहर निर्माण की मंजूरी दी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर गौठान के वार्षिक कैलेंडर का विमोचन, सरगुजा हनी ब्रांड का शुभारंभ किया। श्री बघेल की उपस्थिति में टाऊ के वैल्यू एडेड आटा के उत्पादन के लिए बिहान महिला किसान कंपनी सरगुजा और शिवहरे वेयर हाउसिंग कंपनी के मध्य एमओयू भी किया गया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर आयोजित मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अन्तर्गत परिणय सूत्र में बंधे 51 नवदम्पतियों को खुशहाल दाम्पत्य जीवन के लिए आशीर्वाद प्रदान किया। मुख्यमंत्री बघेल ने शुभारम्भ समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सरगुजा अंचल अपनी लोक संस्कृति एवं समृद्ध कला से विशिष्ट पहचान रही है। मैनपाट अपनी खूबसूरती के साथ सरगुजिहा, भोजपुरी तथा तिब्बती संस्कृति का संगम है। यहां के बौद्ध मंदिर की अलग पहचान है। मैनपाट में पहले लाल आलू देख कर खुशी होती थी लेकिन अब यहां बैगनी आलू देखकर आश्चर्य होता है। उन्होंने कहा कि मैनपाट में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राम वनगमन परिपथ से जोड़ा गया है। प्रथम चरण में इस परिपथ के 9 स्थानों को विकसित किया जा रहा है। नगरीय प्रशासन और विकास तथा जिले के प्रभारी मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के हर वर्ग के लोगों की बेहतरी के काम किये जा रहे हैं। मैनपाट महोत्सव से पर्यटन के साथ साथ विकास के कार्य भी तेजी से हो रहे हैं। संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि मैनपाट महोत्सव पिछले 8-9 वर्षों से आयोजित हो रहा है जिससे यहां की लोक कला और संस्कृति को आगे बढ़ाने में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृति विभाग की चिन्हारी योजना में लोक नर्तक दलों का पंजीयन किया गया है जिससे अब इन्हें लोक कलाकार के रूप में पहचान मिलेगी। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा अब प्राथमिक कक्षा के बच्चों के पाठ्यक्रम गोंडी सहित अन्य बोली भाषाओं में तैयार किया गया है ताकि बच्चे अपनी बोली भाषा में समझ सकेंगे। इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी कर्मचारी और बड़ी संख्या में पर्यटक उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार /केशव शर्मा-hindusthansamachar.in

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