लाॅकडाउन को यादगार बनाने के लिए भोजपुरी में रामचरित मानस का अनुुवाद कर रहे कवि प्रकाश मिर्जापुरी

लाॅकडाउन को यादगार बनाने के लिए भोजपुरी में रामचरित मानस का अनुुवाद कर रहे कवि प्रकाश मिर्जापुरी

लाॅकडाउन को यादगार बनाने के लिए भोजपुरी में रामचरित मानस का अनुुवाद कर रहे कवि प्रकाश मिर्जापुरी मीरजापुर, 27 मार्च (हि.स.)। विकासा खण्ड जमालपुर के भाईपुर कला गांव में जन्मे भोजपुरी के तुलसीदास के नाम से प्रख्यात कवि ओमप्रकाश श्रीवास्तव ‘प्रकाश मिर्जापुरी’ रामचरितमानस का भोजपुरी भाषा में अनुवाद करने में लगे हुए हैं। इन्हें छन्द के मर्मज्ञ कवि के रूप में भी जाना जाता है। इनके पिता स्व. रामस्वरूपलाल मंगल मुंशी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश को गुलामी की जंजीर से आजाद कराने के लिए अपनी कविता में लिखा था, 'गोलियां बरसे चाहे तोपवा पहरू पहरा पर खड़ा।' अपने पिता के पद चन्हों पर चलते हुए प्रकाश मिर्जापुरी ने कोरोना वायरस के संकट के दौरान जनता कर्फ्यू व लाॅकडाउन के समय को यादगार बनाने के लिए भोजपुरी भाषा में रामचरितमानस का अनुवाद प्रारम्भ किया। प्रकाश मिर्जापुरी ने बताया कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना को लेकर देश सेवा व सबकी चिन्ता के लिए 22 मार्च को जनता कर्फ्यू व लाॅकडाउन किया तो मेरे मन में विचार आया कि इस फुर्सत की बेला में भोजपुरी मे रामचरितमानस मानस का अनुवाद किया जाय। प्रधानमंत्री व देशवासियों को समर्पित भोजपुरी भाषा में रामचरितमानस का अनुवाद 22 मार्च से शुरू कर दिया है। रचना पूरी होने के बाद पहली पुस्तक मोदीजी को भेंट करने का संकल्प भी लिया है। कवि ने प्रधानमंत्री के संकल्पों, विचारों का आदर करते हुए जनपद व देशवासियों से अनुरोध किया है कि सब लोग घर में रहकर इस महासंकट से बचें और देश, समाज को भी बचाएं। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/दीपक-hindusthansamachar.in

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