कौन थे कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें सरकार ने भारत रत्न देने का ऐलान किया है, लालू और नीतीश में किसे मिलेगा क्रेडिट?

भारत सरकार ने बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की है। मोदी के इस मास्टर स्ट्रोक से लालू और नीतीश में किसे आगामी लोकसभा चुनाव में फायदा मिलेगा।
Indian government allow to Bharat ratn award karpuri Thakur
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। मोदी सरकार ने बिहार पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान यानी भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा कर दी है। सामाजिक भेदभाव और असमानता के खिलाफ आवाज बनने वाले नेता कर्पूरी ठाकुर को लंबे समय से भारत रत्न दिए जाने की बात की जा रही थी। बिहार की राजनीति में इनका कद सबसे ऊपर था। आपको बता दें कि कर्पूरी ठाकुर ने ज्यादा वक्त विपक्ष की राजनीति में ही बिताया है। इन्होंने जीवन भर संघर्ष कर बिहार में गरीब जनता की आवाज बने।

बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर कौन थे

यह नाम भले ही देश की जनता के लिए नया हो लेकिन राजनीति और बिहार की दृष्टि से बहुत पुराना नाम है। कर्पूरी ठाकुर का जन्म साल 24 जनवरी, 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौझियां गांव में हुआ था। गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर ईमानदार और सादा जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति थे। वो राजनेता होने के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षक भी रहे।

कर्पूरी ठाकुर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी शामिल थे। इनके काम और स्वभाव का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं। कि जब ये मुख्यमंत्री थे तो इन्होंने बिहार की शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा दी। साथ ही मातृभाषा को प्राथमिकता देते हुए शिक्षा नीति में कई बड़े बदलाव भी किए थे। इनके छोटे से कार्यकाल के दौरान राज्य में शराब पर पाबंदी थी। इन्होंने अपना सारा जीवन पिछड़े समुदाय और दलितों पर समर्पण कर दिया।

चुनाव में क्या पड़ेगा असर

आपको बता दें कि कर्पूरी ठाकुर को देखकर ही नीतीश कुमार और लालू यादव ने अपनी राजनीति को चमकाया है। जब से उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा हुई है। आगामी लोकसभा चुनावों से इसे लोग जोड़ने लगे है। राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार ने वोट बैंक साधना शुरू कर दिया है। जदयू ने कर्पूरी के गांव और पटना में कई कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी में है। वहीं बीजेपी कर्पूरी ठाकुर के जन्म शताब्दी वर्ष मनाने की तैयारी में जुट गई है। कर्पूरी ठाकुर ने अपना सारा जीवन कांग्रेस के खिलाफ राजनीति में व्यतीत किया। कर्पूरी ठाकुर जी का निधन 64 साल की उम्र में 17 फरवरी साल 1988 को हार्ट अटैक आने की वजह से हुआ था। जिन्हे अब मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा हुई है।

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