
Manipur Violence: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हालत लगातार बेकाबू होते दिखाई दे रहे हैं। दो समुदायों के अधिकारों की इस लड़ाई में अभी तक 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। सरकारों की तमाम कोशिशों के बावजूद भी अभी तक हालत पर पूरी तरह से काबू नहीं किया जा सका है। मणिपुर से रोजना अलग-अलग इलाकों से हिंसा की खबरें सामने आ रही है। ऐसे ही गुरुवार की रात एक बार फिर से हिंसात्मक घटना सामने आई थी। इसमें इस बार उपद्रवियों ने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन सिंह के कोंगबा स्थित आवास को आग के हवाले कर दिया था।
R K रंजन का आवास किया आग के हवाले
मणिपुर से रोजाना अलग-अलग इलाकों से घटनाओं की खबरें सामने आ रही है। उपद्रवी अब नेताओं के घरों को निशाना बना रहे हैं। बीते गुरुवार को उपद्रवियों ने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन सिंह के कोंगबा स्थित आवास को आग के हवाले कर दिया। इस घटना के समय गनीमत यह रही की मंत्री घटना के समय घर पर नहीं थे। इससे पहले कुछ उपद्रवियों ने बुधवार को इंफाल पश्चिम के लाम्फेल क्षेत्र में मंत्री नेमचा किपजेन के घर में आग लगा दी थी।
क्या रहा हिंसा का परिणाम?
मणिपुर में अभी तक हुईं हिंसा से हुए नुकसान की बात करें तो कुकी और मैतेई समुदाय के बीच 42 दिनों से चल रहे इस संघर्ष में अभी तक 107 लोग मारे जा चुके हैं और 400 से ज्यादा घायल बताए जा रहे हैं। जगह-जगह आगजनी की घटनाएं सामने आ रही हैं। 80 हजार से ज्यादा लोग अपने घरों को छोड़कर कैंम्प में रहने को मजबूर हैं।
क्या है हिंसा की वजह?
एक महीने पहले मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के लोगों के बीच जातीय मामलों को लेकर विवाद शुरू हुआ था। इस जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इसके साथ हजारों लोगों को जान बचाने के लिए विस्थापित होना पड़ा है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद हिंसा शुरू हुई थी। मेइती समुदाय का आरोप है म्यांमार से आने वाले लोग आदिवासी समुदायों के साथ मिलकर आतंकवाद फैला रहे हैं। वहीं, आदिवासी संगठनों का कहना है कि राज्य सरकार मेइती समुदाय के साथ मिलकर उन्हें प्रताड़ित कर रही है। मणिपुर हिंसा में दोनों पक्षों के सैकड़ों घरों को फूंक दिया गया है, जबकि कई निर्दोषों की निर्मम हत्या भी हुई है।
राजधानी इम्फाल में रहती 57 प्रतिशत आबादी
मणिपुर की राजधानी इम्फाल पूरे प्रदेश के बिल्कुल मध्य में है और ये पूरे प्रदेश का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जिसमें प्रदेश की 57 प्रतिशत आबादी रहती है। बाकी चारों तरफ 90 प्रतिशत हिस्से में पहाड़ी इलाके हैं, जहां प्रदेश की 42 प्रतिशत आबादी रहती है। इम्फाल घाटी वाले इलाके में मैतेई समुदाय की आबादी ज्यादा है। यहां ज्यादातर हिंदू है। मणिपुर की कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी करीब 53 प्रतिशत है। आंकड़ें देखें तो सूबे के कुल 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई समुदाय से है। वहीं, दूसरी ओर पहाड़ी इलाकों में 33 मान्यता प्राप्त जनजातियां रहती हैं। इनमें प्रमुख रूप से नागा और कुकी जनजाति हैं। ये दोनों जनजातियां मुख्य रूप से ईसाई हैं। इसके अलावा मणिपुर में आठ प्रतिशत आबादी मुस्लिम और आठ प्रतिशत आबादी सनमही समुदाय की है।