गहलोत को किनारे करना Congress के लिए आसान नहीं, 'राजनीति के जादूगर' ने कई राज्यों में बचाई है कांग्रेस सरकार

Ashok Gahlot: राजस्थान विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। कांग्रेस और भाजपा ने अब तक अपने-अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है।
राजस्थान में मौजूद मुख्यमंत्री को अब तक कांग्रेस ने इस चुनाव में सीएम फेस घोषित नहीं किया है।
राजस्थान में मौजूद मुख्यमंत्री को अब तक कांग्रेस ने इस चुनाव में सीएम फेस घोषित नहीं किया है। रफ्तार।

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। राजस्थान विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। कांग्रेस और भाजपा ने अब तक अपने-अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। दोनों पार्टियों में सीएम फेस को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बड़े नेता सचिन पायलट के बीच की तनातनी की वजह से आलाकमान को सीएम फेस तय करने में जल्दबीजी नहीं करना चाहती है। दरअसल, अशोक गहलोत को किनारे करना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है। 'राजनीति के जादूगर' कहे जाने वाले अशोक गहलोत की प्रदेश की जनता के बीच ही नहीं, पार्टी में मजबूत पकड़ गया है। इन्होंने कांग्रेस की कई राज्यों में सरकार बचाई है।

तीन प्रधानमंत्रियों के साथ कर चुके हैं काम

जोधपुर में 3 मई 1951 को जन्मे अशोक गहलोत के पिता लक्ष्मण सिंह गहलोत जादूगर थे। अशोक ने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की और विश्वविद्यालय में एनएसयूआई से जुड़े थे। 1971 में पश्चिम बंगाल में एक कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उन पर नजर और उन्होंने गहलोत को सक्रिय राजनीति में लाने का निर्णय लिया। इस तरह कांग्रेस में गहलोत की एंट्री हुई, तब से अब तक 'राजनीति के जादगूर' तीन प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके हैं। इंदिरा गांधी, नरसिम्हा राव और राजीव गांधी कैबिनेट में मंत्री रहे हैं।

झारखंड से महाराष्ट्र तक बचाई कांग्रेस की सरकार

गहलोत के बारे में कहा जाता है कि उन्हें कोई चकमा नहीं दे सकता। राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के नेता किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा था-गहलोत बेहद सजग नेता है। उनको कोई दूध पिलाने का प्रयास करेगा तो वह पहला घूंट किसी बिल्ली को पिलाएं, उसके बाद खुद पीएंगे। अपनी राजनीतिक समझ को गहलोत ने कई बार परिचय दिया है। 2020 में राजस्थान के सियासी संकट के दौरान गहलोत ने बागी गुट को 36 दिनों में घर वापसी करने के लिए मजबूर कर दिया था। इतना ही नहीं गहलोत झारखंड से महाराष्ट्र और कर्नाटक की सरकार भी बचाए हैं।

ऑटो में बैठककर पहुंचे थे केंद्रीय मंत्री का शपथ लेने

सादगी के मशहूर गहलोत से जुड़ा एक प्रसंग का काफी चर्चित है। गहलोत इंदिरा मंत्रिमंडल के विस्तार होने पर शपथ लेने के लिए ऑटो में सवार होकर राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। वहां सिक्योरिटी गार्ड ने उन्हें रोक दिया था। उनके पास कार नहीं थी और वह ऑटो से पहुंचे थे।

गहलोत का परिवारिक जीवन

गहलोत का एक बेटा-एक बेटी हैं। बेटे का नाम वैभव गहलोत और बेटी सोनिया गहलोत है। यह अन्य पिछड़ा वर्ग अंतर्गत माली जाति से आते हैं। 1988 में जब रास्थान में दो जाट परिवारों का दबदबा था, तब गहलोत को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला था।

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