ओडिशा रेल दुर्घटना के पीड़ितों ने सुनाई आपबीती, ‘किसी का पैर नहीं, तो किसी का..’ जानिए हादसे का दर्दनाक मंजर

ओडिशा रेल दुर्घटना के पीड़ित ने बताया कि हादसे से पहले मैं सो रहा था, जब ट्रैक पर रेल पलटी तो झटके से मेरी नींद खुली और बोगी के 10-15 लोग मेरे ऊपर थे।
ओडिशा रेल दुर्घटना के पीड़ितों ने सुनाई आपबीती
ओडिशा रेल दुर्घटना के पीड़ितों ने सुनाई आपबीती

नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार को बड़ी रेल दुर्घटना हो गई, जिसमें फिलहाल, 250 से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हुई। बहरहाल, बचाव अभियान जारी है, और मृत और घायलों की संख्या बढ़ने की आशंका है। दुर्घटना की वजह तीन ट्रेनों के आपस में भीषण रूप से टकराने से बताई जा रही है। चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे पटरी से उतर कर नजदीक के ट्रैक पर जा गिरे, जहां से बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस जा रही थी। इसके बाद कोरोमंडल के डिब्बे मालगाड़ी से भी टकरा गए। यहां पर तीनों ट्रेनों के आपस में भयंकर रूप से टक्कर होने से दुर्घटना हुई। हालांकि, इस दुर्घटना की कई वजह बताई जा रही हैं, जो जांच के बाद सामने आएगा। बहरहाल, इस हासदे के पीड़ितों से उनकी आपबीती सुनते हैं, जिन्होंने इस खौफनाक मंजर को अपनी आंखों से देखा था..

किसी व्यक्ति का हाथ नहीं है तो किसी का पैर नहीं

ओडिशा रेल दुर्घटना के पीड़ित ने बताया कि हादसे से पहले मैं सो रहा था, जब ट्रैक पर रेल पलटी तो झटके से मेरी नींद खुली और बोगी के 10-15 लोग मेरे ऊपर थे। जिसके चलते मेरी गर्दन और हाथ में चोटें आईं। इसके बाद बाहर मैंने देखा कि किसी व्यक्ति का हाथ नहीं है तो किसी का पैर नहीं है, किसी चेहरा बुरी तरह जख्मी है।

बचने की नहीं थी कोई उम्मीद

बालासोर में दुर्घटनाग्रस्त हुई ट्रेन के एक अन्य पीड़ित ने बताया कि मैं S1 डिब्बे में था। बचने की कोई उम्मीद नहीं थी, ट्रेन के डिब्बे पूरी तरह से उलट गए थे। मैं बिहार का रहने वाला हूं और ट्रेन से चेन्नई जा रहा था। वहां पर मैं एक कपड़े की दुकान में काम करता हूं।

रेल दुर्घटना के मृत व्यक्ति की मां बोलीं

बालासोर रेल दुर्घटना में बालीघाट पुरवापारा के एक मृत व्यक्ति की मां ने कहा, 'मेरे बेटे की कल बालासोर रेल दुर्घटना में मृत्यु हो गई। वह चेन्नई जाने के लिए घर से निकला था, उसकी उम्र 26 साल थी, उसके दो बच्चे थे, उनके सिर से पिता का साया उठ गया।'

पीड़ितों को बचने की नहीं थी उम्मीद

बालासोर ट्रेन दुर्घटना के बाद एक ही परिवार के तीन सदस्य सुरक्षित अपने घर लौटे। उन्होंने बताया, 'हम खड़गपुर से चेन्नई जा रहे थे। बालासोर के पास ही हमें एक झटका लगा और लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे। हमें समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है, हमें बचने की उम्मीद नहीं थी।'

फोन पर मिली मृत्यु की जानकारी

बालासोर रेल हादसे में गांव गंगारामपुर क्षेत्र के एक निवासी की मृत्यु के बारे में एक स्थानीय ने बताया कि हमारे यहां से दो लोग नितिन राय और चंदन राय कोरोमंडल एक्सप्रेस से यात्रा कर रहे थे। हमें जब रेल दुर्घटना की खबर मिली तब हमने फोन किया, उस समय नितिन का फोन ऑन था। किसी व्यक्ति ने फोन उठाकर बताया कि नितिन की ट्रैन हादसे में मृत्यु हो चुकी है। इसके बाद चंदन राय से कोई संपर्क नहीं हो पाया है।

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