SC का आदेश गुवाहाटी में होगी मणिपुर हिंसा मामले की सुनवाई, वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होगी कार्रवाई

कोर्ट ने कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत गवाहों के बयान मणिपुर के मजिस्ट्रेट दर्ज करेंगे। कोर्ट ने कहा कि वहां की मौजूदा हालात को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है।
Supreme Court
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नई दिल्ली, हि.स.। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को ट्रांसफर हुए मणिपुर हिंसा के मामलों का मुकदमा असम ट्रांसफर कर दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने गोवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से एक या एक से अधिक जजों को सुनवाई का जिम्मा सौंपने को कहा। सुनवाई ऑनलाइन मोड में होगी। इस मामले पर अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी।

असम की राजधानी में सभी मुकदमों की सुनवाई ऑनलाइन मोड में होगी

कोर्ट ने कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत गवाहों के बयान मणिपुर के मजिस्ट्रेट दर्ज करेंगे। कोर्ट ने कहा कि वहां की मौजूदा हालात को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है। जब मामला ट्रायल के स्टेज पर आएगा, उस दौरान भी हम इसमें आदेश पारित कर सकते हैं।

धारा 164 के तहत गवाहों के बयान मणिपुर के मजिस्ट्रेट करेंगे दर्ज

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से इस मामले को असम ट्रांसफर करने का विरोध किया गया। वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा कि पीड़ितों को असम भेजने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि ये सॉलिसिटर जनरल की ओर से दिए गए भरोसे के विपरीत है। वकील निजाम पाशा ने कहा कि मणिपुर हिंसा पीड़ितों को असम में भाषा की भी समस्या आएगी। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि पीड़ित अपने बयान वर्चुअल तरीके से दर्ज करा सकते हैं। तब याचिकाकर्ताओं ने कहा कि मणिपुर में इंटरनेट की समस्या है।

तीन सदस्यीय कमेटी का किया गठन

दरअसल, इस मामले में गठित तीन रिटायर्ड महिला जजों की कमेटी ने 21 अगस्त को तीन रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को रिपोर्ट देख कर सहयोग करने को कहा था। 7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था, जिसमें जस्टिस शालिनी जोशी और जस्टिस आशा मेनन शामिल हैं। कोर्ट ने सीबीआई जांच की निगरानी के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी दत्तात्रेय पद्सालगिकर को नियुक्त किया था।

5 डीएसपी लेवल के अधिकारियों को शामिल जाएगा किया

कोर्ट ने कहा था कि हमारा प्रयास कानून के शासन में विश्वास की भावना बहाल करना है। यह कमेटी जांच के अलावा अन्य चीजों पर भी गौर करेगी, जिसमें राहत, उपचारात्मक उपाय आदि शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं से जुड़े अपराध वाली 11 एफआईआर की जांच सीबीआई करेगी, लेकिन इनमें अलग-अलग राज्यों से 5 डीएसपी लेवल के अधिकारियों को शामिल किया जाएगा। चीफ जस्टिस ने कहा 11 एफआईआर की जांच की निगरानी के लिए 5 डीसीपी लेवल के अधिकारियों को सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर लाया जाएगा।

अलग-अलग राज्यों से डेप्युटेशन पर जाएगा लाया

कोर्ट ने एफआईआर की जांच सीबीआई को सौंपते हुए कहा था कि इनकी जांच पांच उच्च पुलिस अधिकारी करेंगे। उनको अलग-अलग राज्यों से डेप्युटेशन पर लाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा मामलों की जांच की निगरानी महाराष्ट्र के पूर्व आईपीएस अधिकारी दत्तात्रेय पद्सालजिलकर को सौंपी थी, जो हिंसा से जुड़ी सभी जांच की निगरानी करेंगे और जांच कोर्ट को सौंपेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा था कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच सीबीआई ही करेगी, लेकिन स्वतंत्र निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई में दूसरे राज्यों से डिप्टी एसपी रैंक के पांच-पांच अफसर लिए जाएंगे। बाकी मामलों की पुलिस जांच में 42 एसआईटी बनेंगी, जिसका नेतृत्व एसपी रैंक का अधिकारी करेगा। इसके अलावा एसपी रैंक के अफसर एसआईटी की निगरानी करेंगे।

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