15 लाख KM की दूरी से हमारा आदित्य भेजेगा अच्छी खबर, मौसम सहित इन चीजों को समझने में मिलेगी मदद

Aditya L1 Solar Mission: इसरो ने सूर्य मिशन को लेकर 'आदित्य-एल 1' का सफल प्रक्षेपण किया। इसे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) से छोड़ा गया।
15 लाख KM की दूरी से हमारा आदित्य भेजेगा अच्छी खबर
15 लाख KM की दूरी से हमारा आदित्य भेजेगा अच्छी खबर

नई दिल्ली, श्रीहरिकोटा, हि.स.। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश के पहले सूर्य मिशन के तहत 'आदित्य-एल1' यान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से शनिवार को प्रक्षेपित कर दिया। इसरो ने कहा है कि प्रक्षेपण सफल रहा। 'आदित्य-एल1' सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर 'एल1' (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करेगा। 'आदित्य एल1' सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष यान है। इसे पूर्वाह्न 11 बजकर 50 मिनट पर इसरो के सबसे भरोसेमंद पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) के जरिये श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। 'आदित्य-एल1' के 125 दिन में लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर लैग्रेंजियन बिंदु 'एल1' के आसपास हेलो कक्षा में स्थापित होने की उम्मीद है। इस कक्षा को सूर्य के सबसे करीब माना जाता है।

इसमें लगे हैं सात पेलोड

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं के अलावा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है। 'आदित्य-एल1' के साथ सात पेलोड हैं। इनमें से चार सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे। इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग में मिली कामयाबी के बाद इस मिशन का आगाज किया है।

बेहतर भविष्य बनाने की जरूरत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सूर्य मिशन को लेकर 'आदित्य-एल 1' का सफल प्रक्षेपण किया। इसे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) से छोड़ा गया। भारत के इस पहले सौर मिशन से इसरो सूर्य का अध्ययन करेगा। इससे पहले इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने यहां मीडिया से कहा था- 'रॉकेट और सैटेलाइट तैयार हैं। हमने प्रक्षेपण के लिए अभ्यास पूरा कर लिया है। नियत स्थान पर पहुंचने में 125 दिन लगेंगे।' इसरो की वेबसाइट के मुताबिक आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को सूर्य के परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और एल-1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह सूर्य के अध्ययन के लिए भारत का पहला समर्पित मिशन है। भारत के इस मिशन पर दुनियाभर के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सौर मिशन आदित्य एल-1 के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद सूर्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में नई जानकारी मिल सकेगी। आने वाले दशकों और सदियों में पृथ्वी पर संभावित जलवायु परिवर्तन को समझने के लिए यह आंकड़े महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in