
नई दिल्ली, हि.स.। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की पूर्व प्रमुख दादी प्रकाशमणि की स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया। यह डाक टिकट दादी प्रकाशमणि की 16वीं पुण्यतिथि पर डाक विभाग की 'माई स्टैम्प' पहल के तहत जारी किया गया है।
संस्कृति को भारत और विदेशों में फैलाया
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि दादी प्रकाशमणि ने आध्यात्मिकता के माध्यम से भारतीय मूल्यों और संस्कृति को भारत और विदेशों में फैलाया। उनके नेतृत्व में ब्रह्माकुमारी दुनिया में महिलाओं के नेतृत्व वाला सबसे बड़ा आध्यात्मिक संगठन बन गया। एक सच्चे नेता की तरह वह चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी विश्वास और साहस के साथ ब्रह्माकुमारी परिवार के साथ खड़ी रहीं और हमेशा उनका मार्गदर्शन किया।
यादें हमेशा हमारे बीच रहेंगी जीवित
राष्ट्रपति ने कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा सत्य है कि जीवन अस्थायी है और व्यक्ति को उसके कर्मों के कारण ही याद किया जाता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को लोक कल्याण की भावना से नेक कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दादी भले ही शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके आध्यात्मिक एवं मिलनसार व्यक्तित्व और मानव कल्याण के उनके संदेश की यादें हमेशा हमारे बीच जीवित रहेंगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।
वैज्ञानिकों की अभूतपूर्व सफलता देखी
चंद्रयान-3 मिशन की हालिया सफलता के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी ने भारतीय वैज्ञानिकों की अभूतपूर्व सफलता देखी है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है। उन्होंने विश्वास जताया कि चंद्रयान-3 मिशन के जरिए चंद्रमा की धरती से नई जानकारी हासिल होगी जिससे पूरी दुनिया को फायदा होगा।
ब्रह्माकुमारी संस्थान की प्रमुख राजयोगिनी दादी जानकी का निधन104 साल की उम्र में राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू के ग्लोबल हास्पिटल में हुआ था। ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी140 देशों में फैले अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्थान का संचालन करने वाली वे दुनिया की पहली मुख्य प्रशासिका हैं।
शों में 72 हजार किमी की यात्रा का विश्व रिकॉर्ड भी उन्होंने बनाया
दादी के नाम दुनिया की पहली मुख्य प्रशासिका का खिताब तो है ही, साथ में 104 साल की उम्र में 12 महीने में 4 माह तक भारत के कई शहरों और दस देशों में 72 हजार किमी की यात्रा का विश्व रिकॉर्ड भी उन्होंने बनाया है। दादी जानकी ने 46 हजार बहनों की ऐसी रूहानी सेना तैयार की है जो लोगों में आध्यात्मिकता के जरिए ज्ञान, राजयोग और साधना से मूल्यनिष्ठता को स्थापित करता है. दादी जानकी स्वच्छता के संदर्भ में हमेशा से एक्टिव रहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन का उन्हें ब्रांड एम्बेसडर
कक्षा चौथी तक पढ़ी दादी जानकी ने ईश्वरीय सेवाओं के लिए पश्चिमी देशों को चुना। 1970 में पहली बार लंदन गईं और 35 वर्षों तक वहीं रहकर सौ से ज्यादा देशों में ईश्वरीय संदेश को पहुंचाया। हजारों-लाखों लोगों को जीवन जीने की कला सिखाई। 2007 में बनी मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारीज संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि के देहावसान के पश्चात 25 अगस्त, 2007 को ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका का कार्यभार सौंपा गया। तब से लेकर आज तक वे देश और दुनिया भर में अमन, चैन और सुख शांति की स्थापना के लिए कार्यरत हैं।