Jatindra Nath Das: लाहौर जेल में जतिंद्र नाथ दास ने शुरू किया अनशन, शहादत के साथ हुआ खत्म

Today History: देश-दुनिया के इतिहास में 13 जुलाई की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख को 1929 में भारत के महान क्रांतिकारी जतिंद्र नाथ दास ने लाहौर जेल में अनशन शुरू किया था।
जतिंद्र नाथ दास
जतिंद्र नाथ दास

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क, हि.स.। देश-दुनिया के इतिहास में 13 जुलाई की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख को 1929 में भारत के महान क्रांतिकारी जतिंद्र नाथ दास ने लाहौर जेल में अनशन शुरू किया था। कैदियों को बेहतर सुविधाएं देने की मांग से शुरू हुआ ये अनशन आखिरकार 63 दिन बाद जतिंद्र नाथ दास की शहादत के साथ खत्म हुआ। मात्र 24 साल की उम्र में शहीद हुए जतिंद्र नाथ दास की अंतिम यात्रा में इतने लोग उमड़े कि पूरा कलकत्ता शहर थम गया था।

बचपन में ही हो गया था मां का निधन

1904 में 27 अक्टूबर को कलकत्ता में जन्मे जतिंद्र नाथ दास के बचपन में ही उनकी माता का निधन हो गया था। युवावस्था में पढ़ाई के दौरान ही उनके अंदर देशभक्ति के विचारों ने जन्म लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि वे महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में कूद पड़े और जेल गए। चौरी-चौरा कांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन खत्म किया। महात्मा गांधी के इस फैसले से जतिंद्र का आंदोलन से मोहभंग हुआ और वे पढ़ाई में जुट गए।

अनशन को देखकर जेल प्रशासन ने मांगी मांग कर किया रिहा

इस दौरान उनकी मुलाकात क्रांतिकारी नेता शचीन्द्र नाथ सान्याल से हुई। उन्होंने उनसे ही बम बनाना सीखा। 1925 में काकोरी कांड के बाद जतिंद्र नाथ दास फिर गिरफ्तार हुए पर जेल में भारतीय कैदियों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार को देखते हुए जतिंद्र ने अनशन शुरू कर दिया। 20 दिन तक अनशन जारी रहा। आखिरकार जेल प्रशासन ने माफी मांगकर जतिंद्र नाथ दास को रिहा कर दिया। वे भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस के करीबी रहे। भगत सिंह ने जतिंद्र नाथ दास के बनाए बम को ही बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर असेंबली में फेंका था। बम कांड को लेकर अंग्रेजों ने दास को दोबारा गिरफ्तार किया। लाहौर जेल में उनके साथ भगत सिंह भी थे। जेल में कैदियों के साथ होने वाले बर्ताव को देखकर दास ने फिर अनशन शुरू करने का फैसला लिया था। यह अनशन उनकी शहादत के साथ खत्म हुआ।

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in