चीन के अवैध कब्जे वाले अक्साई चिन क्षेत्र के पास नो फ्लाइंग जोन, आखिर क्या करने जा रही है भारतीय सेना?

India-China Dispute: भारत ने चीन के अवैध कब्जे वाले विवादित अक्साई चिन क्षेत्र के आसपास मेगा लाइव फायरिंग और प्रशिक्षण अभ्यास के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर (एलएसी) पर नो फ्लाई जोन जारी किया है।
चीन के अवैध कब्जे वाले अक्साई चिन क्षेत्र के पास नो फ्लाइंग जोन
चीन के अवैध कब्जे वाले अक्साई चिन क्षेत्र के पास नो फ्लाइंग जोन

नई दिल्ली, हि.स.। भारत ने 1962 के युद्ध के बाद से चीन के अवैध कब्जे वाले विवादित अक्साई चिन क्षेत्र के आसपास मेगा लाइव फायरिंग और प्रशिक्षण अभ्यास के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर (एलएसी) पर नो फ्लाई जोन जारी किया है। यह अभ्यास 31 जुलाई से 5 अगस्त तक होगा। इधर, मौजूदा समय में पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैली एलएसी पर चीन की सैन्य गतिविधियों में वृद्धि देखी जा रही है। इसीलिए सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे इस समय चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर जाकर अग्रिम इलाकों की समीक्षा कर रहे हैं।

उपायों से संबंधित पहलुओं पर की चर्चा

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने गुरुवार को लेह में 14 कोर मुख्यालय का दौरा करके परिचालन स्थिति की समीक्षा की। जनरल मनोज पांडे ने लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (डॉ.) बीडी मिश्रा (सेवानिवृत्त) से मुलाकात की और केंद्र शासित प्रदेश की विकासात्मक पहल और नागरिक-सैन्य तालमेल बढ़ाने के उपायों से संबंधित पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने पाकिस्तान के मोर्चे पर सियाचिन ग्लेशियर का भी दौरा किया। जनरल मनोज पांडे ने लद्दाख के अग्रिम इलाकों का दौरा किया और उन्हें परिचालन तैयारियों के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने सैनिकों के साथ बातचीत करते हुए उन्हें अत्यधिक व्यावसायिकता और सकारात्मक भावना के साथ काम करना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। शुक्रवार को चीन के सामने एलएसी के कुछ आगे के इलाकों का दौरा करने की योजना है।

हल करने के लिए अभी तक कोई झुकाव नहीं

भारत के साथ 23 अप्रैल को हुई कोर कमांडर स्तर की बैठक के दौरान चीन ने एक बार फिर रणनीतिक डेप्सांग मैदानों के साथ-साथ पूर्वी लद्दाख के डेमचोक में चार्डिंग निंगलुंग नाला ट्रैक जंक्शन पर सेना हटाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद कोर कमांडर स्तरीय वार्ता का 19वां दौर अभी नहीं हुआ है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पूर्वी लद्दाख में सैन्य टकराव को हल करने के लिए अभी तक कोई झुकाव नहीं दिखाया है, जबकि चीनी सेना सिस्टम, रडार साइटें और गोला-बारूद भंडारण, बंकरों, चौकियों, तोपखाने की स्थिति, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल के मामले में अपनी सैन्य स्थिति को लगातार मजबूत कर रही है।

बुनियादी ढांचे का विकास जारी रखा

इतना ही नहीं, पीएलए ने नए हेलीपैड, सड़कों, पुलों, सीमावर्ती गांवों और अंतिम-मील कनेक्टिविटी के संदर्भ में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास जारी रखा है, जिसमें पिछले कुछ महीनों से तेजी आई है। चीन ने भारत के सामने अपने सभी हवाई अड्डों जैसे हॉटन, काशगर, गर्गुंसा, शिगात्से, होपिंग, लिंगज़ी और ल्हासा-गोंगगर को नए और विस्तारित रनवे, कठोर आश्रयों और अतिरिक्त लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों, अवाक्स, ड्रोन और टोही के लिए ईंधन भंडारण सुविधाओं के साथ बड़े पैमाने पर उन्नत किया है। इसके अलावा अब सात से आठ नए हवाई क्षेत्र और हेलिपोर्ट भी आ रहे हैं।

लिपुलेख दर्रे के आसपास के दोहरे उपयोग वाले गांवों का निर्माण

भारत के साथ लगी 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी के सभी तीन सेक्टरों पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड, हिमाचल) और पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल) में जमीन पर पीएलए की गतिविधि तेज हो गई है। पैन्गोंग झील के उत्तरी छोर से दोनों सेनाओं की वापसी के बाद पीएलए ने फरवरी, 2021 में बनाए गए 'नो पेट्रोल बफर जोन' के पास सैन्य आश्रयों, हथियार प्रणालियों और आक्रमण नौकाओं की संख्या में वृद्धि की है। साथ ही उत्तरी तट पर 'फिंगर-8' और पूर्व में सिरिजाप-I और II पर चीनी सैन्य ठिकानों के बीच बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है। उत्तराखंड में बाराहोती के सामने और मध्य क्षेत्र में लिपुलेख दर्रे के आसपास के दोहरे उपयोग वाले गांवों का निर्माण हुआ है। पूर्व में सियांग, कामेंग और अरुणाचल प्रदेश के अन्य हिस्सों में पीएलए निर्माण गतिविधि चल रही है।

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