एक साल में सात लाख मामलों में कुछ कम ज्यादा हो सकता है पर आंकड़ा सात लाख के आसपास से कम इस मायने में नकारा नहीं जा सकता कि अदालतों में दर्ज होने वाले प्रकरणों की मॉनेटरिंग होती है।