नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के नाम बदलने को लेकर कांग्रेस ने जताई आपत्ति,जानिए क्यों लिया गया फैसला?

नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के नाम बदलने को लेकर कांग्रेस ने जताई आपत्ति,जानिए क्यों लिया गया फैसला?

कांग्रेस ने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम प्रधानमंत्री मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी किए जाने का विरोध किया गया है।

नई दिल्ली, हि.स.। कांग्रेस ने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम प्रधानमंत्री मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी किए जाने का विरोध किया गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि विश्व प्रसिद्ध नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) अब प्रधानमंत्री मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (पीएमएमएल) बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी भय, हीन भावना और असुरक्षा से भरे नज़र आते हैं। विशेष रूप से तब, जब बात हमारे पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्री की आती है। उनका एकमात्र एजेंडा नेहरू और नेहरूवादी विरासत को गलत ठहराना, बदनाम करना, तोड़ मरोड़कर पेश करना और नष्ट करना है।

आने वाली पीढ़ी होंगी प्रेरित

रमेश ने कहा स्वतंत्रता आंदोलन में नेहरू के व्यापक योगदान और भारतीय राष्ट्र-राज्य की लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, वैज्ञानिक और उदार नींव डालने में उनकी महान उपलब्धियों को कभी भी कम नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की ओर से लगातार हो रहे हमलों के बावजूद, जवाहरलाल नेहरू की विरासत दुनिया के सामने जीवित रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

क्यों बदला गया नाम

नई दिल्ली स्थिति तीन मूर्ति भवन भारत के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू का आधिकारिक आवास हुआ करता था। बाद में इस परिसर को संग्रहालय में बदल करनेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी की स्थापना कर दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में एक विचार रखा था कि तीन मूर्ति परिसर के अंदर भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय होना चाहिए, जिसे नेहरू मेमोरियल की कार्यकारी परिषद ने मंजूर कर लिया.

2022 में इसे पब्लिक के लिए खोला गया

इसके बाद साल 2022 में प्रधानमंत्रियों को समर्पित ये संग्रहालय बनकर तैयार हुआ, जिसके बाद अप्रैल 2022 में इसे पब्लिक के लिए खोला गया। सभी प्रधानमंत्रियों का म्यूजियम होने की वजह से कार्यकारी परिषद ने महसूस किया था कि इसका नाम में वर्तमान स्वरूप की झलक दिखनी चाहिए। इसी के चलते बीते जून की बैठक में नाम बदलने का फैसला हुआ।

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