Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के लिए तैयार, बस कुछ ही घंटे बाकी, 40 दिन में करेगा 3.84 लाख किमी का सफर

Chandrayaan-3 Mission: इंडिया के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। ‘चंद्रयान-3’ मिशन शुक्रवार दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्थित केंद्र से लॉन्च किया जाना है।
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। Chandrayaan-3 Mission: इंडिया के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। ‘चंद्रयान-3’ मिशन शुक्रवार दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्थित केंद्र से लॉन्च किया जाना है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख एस सोमनाथ ने ‘चंद्रयान-3’ मिशन के लॉन्च होने से एक दिन पहले गुरुवार 13 जुलाई को सुल्लुरपेटा स्थित श्री चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना की।

40 दिन में करेगा 3.84 लाख किमी का सफर

बता दें कि चंद्रयान-3 पृथ्वी से चांद की 3.84 लाख किमी की दूरी 40 दिनों में तय करेगा। लॉन्चिंग के बाद रॉकेट इसे पृथ्वी के बाहरी ऑर्बिट तक ले जाएगा। इस दौरान रॉकेट 36 हजार किमी/घंटे की अधिकतम रफ्तार तक सफर करेगा। इसे पूरा करने में इसे 16 मिनट लगेंगे। इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 लॉन्च होने के बाद पृथ्वी की कक्षा में जाएगा फिर इसके बाद धीरे-धीरे चंद्रमा की ओर आगे बढ़ेगा। हम उम्मीद कर रहे हैं कि सब ठीक रहेगा।

चंद्रयान-3 है क्या मिशन?

इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। इसमें एक प्रणोदन मॉड्यूल, एक लैंडर और एक रोवर होगा। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह नहीं उतर पाया था, उन पर फोकस किया गया है।

क्या है चंद्रयान 3 का लक्ष्य?

इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि हमारा लक्ष्य इसे 13 जुलाई को प्रक्षेपित करने का है। चंद्रयान-3 मिशन के तहत चंद्रमा के चट्टानों की ऊपरी परत की थर्मोफिजिकल विशेषताएं, चंद्रमा पर भूकंप आने की बारंबारता, चंद्रमा की सतह पर प्लाज्मा वातावरण और उपकरण उतारे जाने वाले स्थान के निकट तत्वों की संरचना का अध्ययन करने वाले उपकरण भेजे जाएंगे। इसरो अधिकारियों के अनुसार, लैंडर और रोवर पर लगे इन वैज्ञानिक उपकरणों को 'चंद्रमा का विज्ञान' विषय में रखा जाएगा, जबकि प्रायोगिक उपकरण चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी का अध्ययन करेंगे, जिन्हें 'चंद्रमा से विज्ञान' विषय में रखा जाएगा।

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