Chandrayaan 3 Landing आज, जानिए 23 अगस्त को ही क्यो हो रही लैंडिंग? सिर्फ 14 दिन ही क्यों हो रही ये खोज?

Chandrayaan 3 Landing: चांद पर 14 दिन तक दिन और अगले 14 दिन तक रात रहती है, दिन में काफी गर्मी होती है तो वहीं रात में काफी ठंड होती है और दक्षिणी ध्रुव पर तापमान माइनस 230 डिग्री तक चला जाता है।
Chandrayaan 3
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क।  41 दिनों की यात्रा पूरी करके आज बुधवार (23 अगस्त) को चंद्रायान-3 चांद पर पहुंच रहा है। चांद का यह सफर भारत के लिए बेहद खास है। इसको लेकर भारत के लोगों में इतनी उत्सुकता है कि वह चंद्रयान-3 के बारे में सबकुछ जानना चहते है। आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर विक्रम लैंडर और रोवर चांद की सतह पर अपना पहला कदम रखने जा रहा है। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा है कि हमें विश्वास है कि यह एक सफल मिशन है। हम चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग के साथ मिशन का आधा हिस्सा जल्द पूरा करेंगे। इसके बाद हमारा असली काम शुरू होगा। टचडाउन के बाद हम लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान' से भेजे गए डेटा को एनालाइज करेंगे। हमारे साथ पूरी दुनिया इस पल का इंतजार कर रही है।

हर स्थिति में लैंड करेगा विक्रम

इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा कि 'अगर सब कुछ फेल हो जाता है, अगर सभी सेंसर फेल हो जाते हैं, कुछ भी काम नहीं करता है, फिर भी यह (विक्रम) लैंडिंग करेगा, बशर्ते एल्गोरिदम ठीक से काम करें। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि अगर इस बार विक्रम के दो इंजन काम नहीं करेंगे, तब भी यह लैंडिंग में सक्षम होगा।

23 अगस्त को ही क्यो हो रही लैंडिंग

चंद्रयान-3 आज शाम (23 अगस्त) को 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के साउथ पोल कर लैंड करेगा। अब बहुत से लोगो के मन में यह सवाल होगा कि ISRO ने चंद्रयान-3 के लैंडिंग के लिए 23 अगस्त की तारीख को क्यों चुना है। दरअसल, चंद्रमा पर 14 दिनों का दिन और 14 दिनों की रात होती है। आभी तक चंद्रमा पर रात थी, और 23 अगस्त को सू्र्योदय होगा। इसीलिए चंद्रयान ऐसे वक्त में चांद पर उतरेगा जब वहां 14 दिन सूरज की रोशनी रहेगी।

14 दिन ही क्यों होगी खोज?

चुकी लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान' सोलर पैनल का उपयोग कर ऊर्जा प्रप्त करते है। चांद पर 14 दिन तक दिन और अगले 14 दिन तक रात रहती है, दिन में काफी गर्मी होती है तो वहीं रात में काफी ठंड होती है और दक्षिणी ध्रुव पर तापमान माइनस 230 डिग्री तक चला जाता है। इतनी ठंड में लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान' काम नही कर सकते है। ऐसे में इसरो ने लैंडर और रोवर के लिए 23 अगस्त का ही दिन चुना है।

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