
नई दिल्ली, हि.स.। केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार को आज मंजूरी प्रदान की, जिसके तहत 14,903 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार को मंजूरी प्रदान की गई। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार योजना के तहत सवा छह लाख आईटी प्रोफेशनल का कौशल विकास किया जाएगा। 2.65 लाख लोगों को इनफॉर्मेशन सिक्योरिटी एंड एजुकेशन अवेयरनेस प्रोग्राम के तहत इनफॉर्मेशन सिक्योरिटी से जुड़ी ट्रेनिंग दी जाएगी। 540 अतिरिक्त सेवाओं को उमंग एप से जोड़ा जाएगा।
मिशन से जुड़ेंगे नौ और सुपर कंप्यूटर
इसके अलावा राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटर मिशन में 9 और सुपर कंप्यूटर जोड़े जाएंगे। एआई (कृत्तिम बुद्धिमत्ता) आधारित बहुभाषीय ट्रांसलेशन टूल भाषिणी को आठवीं अनुसूची के तहत आने वाली सभी 22 भाषाओं में विस्तार दिया जाएगा। वर्तमान में यह 10 भाषाओं में है। नेशनल नॉलेज नेटवर्क के आधुनिकीकरण के लिए काम किया जाएगा, जिससे 1787 शिक्षण संस्थान जुड़े हुए हैं। दस्तावेजों को डिजिटल माध्यम से सत्यापित करने से जुड़ी डीजी-लॉकर की सुविधा का लाभ अब एमएसएमई संगठनों तक पहुंचाया जाएगा। द्वितीय और तृतीय स्तर के शहरों में 1200 स्टार्टअप को मदद पहुंचाई जाएगी। कृत्रिम बुद्धिमत्ता में स्वास्थ्य, कृषि और सतत शहरों के लिए तीन उत्कृष्टता केंद्र बनाए जाएंगे। साइबर जागरूकता कोर्स 12 करोड़ छात्रों के लिए तैयार किया जाएगा।
पीएम विश्वकर्मा योजना को मंजूरी
वहीं, केंद्र सरकार ने परंपरागत कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता देने के लिए ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना को बुधवार को मंजूरी प्रदान की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में इस योजना का उल्लेख किया था। योजना के लिए 13 हजार करोड़ रुपये भी मंजूर किए गए हैं। इसमें पहली बार 18 परंपरागत व्यवसायों से जुड़े परिवारों को कवर किया जाएगा।
18 परंपरागत बिजनेस को मिलेगा फायदा
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने बुधवार को इसे मंजूरी प्रदान की। केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने फैसले की जानकारी दी। उन्होंने मीडिया को बताया कि योजना के तहत 18 परंपरागत व्यवसायों में प्रमुख रूप से नौका निर्माता, लोहार, टूलकिट निर्माता, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, चर्मकार, राजमिस्त्री, बुनकर, परंपरागत खिलौना निर्माता, नाई, धोबी, दर्जी और जाल निर्माता शामिल हैं। योजना के तहत लाभार्तियों की पहचान की जाएगी। पीएम विश्वकर्मा सर्टिफिकेट और आईडी सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कर मुहैया कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि योजना के तहत इन कार्यों से जुड़े लोगों के कौशल विकास, बाजार पहुंच और आर्थिक सहयोग पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्हें बेसिक और एडवांस ट्रेनिंग दी जाएगी। डिजिटल लेनदेन में प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।
आधुनिक आपाधापी में छूट गए गुरु-शिष्य परंपरा
वैष्णव ने कहा कि आधुनिक आपाधापी में पीछे छूट गए गुरु-शिष्य परंपरा के तहत चले आ रहे इन व्यवसायों को सरकार मदद प्रदान करेगी। इसके तहत 30 लाख परिवारों के किसी एक व्यक्ति को योजना से जोड़ा जाएगा। योजना के तहत पहली बार में एक लाख और दूसरी बार में दो लाख का ऋण दिया जाएगा। ऋण की ब्याजदर 5 प्रतिशत होगी। इसके अलावा कौशल विकास सामग्री खरीद में भी मदद दी जाएगी।