West Bengal News: बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले हिंसा पर राज्यपाल का सख्त रुख, कहा- यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं

राज्य में हिंसा से निपटने के लिए राज्यपाल द्वारा किये गये प्रयासों की सराहना करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि लोगों को राज्यपाल द्वारा दी गई नंबरों पर अपनी शिकायतें दर्ज कराने का मौका मिल रहा है।
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कोलकाता, हिन्दुस्थान समाचार। पंचायत चुनाव से पहले राज्य में हालिया हिंसा पर कड़ा रुख अपनाते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने कहा कि वह इसे अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे। राज्यपाल बोस ने कहा कि उनका उद्देश्य यह देखना है कि राज्य की स्थिति तुरंत बदले। राज्यपाल बोस ने कहा, "मेरा उद्देश्य यह देखना है कि राज्य में स्थिति तुरंत बदले। हम इसे अब और बर्दाश्त नहीं कर सकते, हम इसे और बर्दाश्त नहीं करेंगे।"

हिंसा को लेकर टीएमसी को घेरा

इससे पहले, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने पंचायत चुनाव से पहले राज्य में हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार की आलोचना की थी।

घोष ने आरोप लगाया कि जब भी पश्चिम बंगाल में चुनाव होते हैं, हिंसा भड़क उठती है। लेकिन हिंसा को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया जाता क्योंकि सत्ता में मौजूद पार्टी ऐसा कर रही है।

राज्यपाल के प्रयास की हुई सराहना

राज्य में हिंसा से निपटने के लिए राज्यपाल द्वारा किये गये प्रयासों की सराहना करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि लोगों को राज्यपाल द्वारा जारी किये गये नंबरों पर अपनी शिकायतें दर्ज कराने का मौका मिल रहा है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने आगामी पंचायत चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी।

शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि चुनाव हिंसा के साथ नहीं हो सकते

आठ जुलाई को होने वाले पंचायत चुनावों से पहले, राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगातार झड़पें देखी गईं, जिसमें बीरभूम के अहमदपुर में ब्लॉक विकास कार्यालय में हिंसा भड़कना भी शामिल है, जहां कथित तौर पर कच्चे बम फेंके गए थे। इसके अलावा मालदा जिले में एक तृणमूल कार्यकर्ता की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। चुनाव आठ जुलाई को एक ही चरण में होगा और मतगणना 11 जुलाई को होगी। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी क्योंकि इसे 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले एक लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जाएगा।

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