
नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल का दौर शुरू हो गया है। जैसे-जैसे 2024 के लोकसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है। वैसे राजनीतिक दल अपने लिए नफा नुकसान का गणित बैठना शुरू कर चुके हैं। कोई दल किसी पार्टी के साथ अपनी साठ-गांठ कर रहा है तो कोई किसी दूसरी पार्टी के साथ। ऐसे में छोटे दल बड़े दलों के मिल कर केन्द्रीय राजनीति में अपना स्थान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के बीच हुई मुलाकात नए सियासी गठबंधन की अटकलों को हवा दे रही है। हम यहां जानेंगे क्या बीजेपी के लिए फायदेमंद होगा यह गठबंधन?
क्या बीजेपी के लिए फायदेमंद होगा गठबंधन?
आपको बता दें कि पूर्वांचल और बुंदेलखंड की कुछ सीटों पर राजभर समाज निर्णायक की भूमिका में माना जाता है। खासकर वाराणसी, गाजीपुर की 8 लोकसभा सीटों और 30 विधानसभा सीटों पर राजभर समाज का वोट अच्छा खासा प्रभाव रखता हैं। लिहाजा लोकसभा चुनाव में मिशन 80 को साधने के लिए बीजेपी राजभर समाज के वोट बैंक को एक तरफा अपनी ओर खींचने के लिए सुभासपा से गठबंधन कर सकती है।
एक बार टूट चुका है गठबंधन
गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में ओपी राजभर की पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी थी। यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद राजभर को योगी कैबिनेट में मंत्री बनाया गया, लेकिन कुछ समय बाद 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले ओपी राजभर ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राजभर ने बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। वहीं, विधानसभा चुनाव 2022 से पहले राजभर ने सपा से गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरी थी। ओपी राजभर ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव में काफी आक्रामक तेवर दिखाए थे और योगी सरकार को उखाड़ फेंकने का दम भर रहे थे। हालांकि, सपा-सुभासपा का यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला। जुलाई 2022 में दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन टूट गया था।