अमेरिका के एक आयोग के बयान से बढ़ सकती है भारत से टेंशन, कहा- केंद्र सरकार अल्पसंख्यक विरोधी

अमेरिका का एक आयोग ने अल्पसंख्यक विरोधी बताया है। भारत सरकार न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि राज्य और स्थानीय स्तर पर भी ऐसे कानून बनाती है, जो अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करते हैं।
अमेरिका के एक आयोग के बयान से बढ़ सकती है भारत से टेंशन, कहा- केंद्र सरकार अल्पसंख्यक विरोधी

वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिका में एक आयोग ने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए भारत को काली सूची में डालने का प्रस्ताव दिया है। आयोग ने भाजपा सरकार पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। अमेरिका का रिलीजियस फ्रीडम इंटरनेशनल लगातार चौथे साल ऐसा करने का प्रस्ताव रखता है। 2022 की वार्षिक रिपोर्ट में, आयोग ने कहा कि भारत को विशेष चिंता वाले देशों की सूची में जोड़ा जाना चाहिए। इस लिस्ट में शामिल होने के बाद भारत पर आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं।

भारत अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करती हैं

आयोग ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि राज्य और स्थानीय स्तर पर भी ऐसे कानून बनाती है, जो अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करते हैं। अमेरिका की रिपोर्ट में गोहत्या, दूसरे धर्म में धर्मांतरण और हिजाब कानूनों का जिक्र है। यह कहा गया है कि इन कानूनों के कारण मुस्लिम, ईसाई, सिख, दलित और आदिवासी प्रतिकूल रूप से पीड़ित हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार विरोधियों की आवाज दबा रही है। खासतौर पर वे जो अल्पसंख्यक हैं और अपने अधिकारों की रक्षा करते हैं।

बाइडेन का भारत को जवाब नहीं

अमेरिका का धार्मिक स्वतंत्रता पर अंतर्राष्ट्रीय आयोग केवल सुझाव दे सकता है। यह सरकार की मंशा पर निर्भर करता है कि वह इसे स्वीकार करती है या नहीं। आयोग ने पहले तीन बार भारत को काली सूची में डालने का प्रस्ताव दिया था, जिसे स्थानीय सरकार ने स्वीकार नहीं किया था। आयोग ने बाइडेन सरकार पर सवाल उठाए।

आयोग ने कहा कि बाइडेन भारत के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहे। अमेरिका हमारे प्रस्तावों के बावजूद भारत से संबंध मजबूत कर रहा है। 2022 में दोनों देशों के बीच व्यापार का कारोबार 98 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। बाइडेन कई मौकों पर प्रधानमंत्री मोदी से भी मिले।

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