नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। जाने-माने फिल्मकार क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ दुनिया भर में सुर्खियां बटोर रही है। भारत में भी इस फिल्म की खूब चर्चा है। यह मूवी अमेरिकी वैज्ञानिक और परमाणु बम के जनक जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर के जीवन पर बनी है। उनके विवादास्पद पतन के बाद, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें भारतीय नागरिक बनने की पेशकश की थी। नेहरू ने ओपेनहाइमर से पूछा था कि क्या वह भारतीय बनना पसंद करेंगे? ऐसा उस वक्त हुआ था जब ओपेनहाइमर को उनके ही मुल्क ने त्याग दिया था।
क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ में अमेरिकी वैज्ञानिक की भूमिका एक बार फिर दुनिया के सामने आ गई है। यह मूवी काई बर्ड और मार्टिन जे शेरविन द्वारा सह-लिखित किताब पर आधारित है, जिसका नाम ‘अमेरिकन प्रोमेथियस: द ट्रायम्फ एंड ट्रेजेडी ऑफ जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर’ है। बता दें कि वह दुनिया का पहला परमाणु बम विकसित करने वाले “मैनहट्टन प्रोजेक्ट” में शामिल थे। गौरतलब है कि यह वही बम था जिसे 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराया गया था।
अमेरिकी रक्षा नीति का किया था विरोध
ओपेनहाइमर का ऐसा मानना था कि उस वक्त संयुक्त राज्य अमेरिका की रक्षा नीति की मूलभूत नीतियां ‘अज्ञानता और मूर्खता’ से भरी हुई थीं। परमाणु हथियारों के खिलाफ हो रहे सार्वजनिक बयानबाजी के कारण, वह शीत युद्ध के दौर में उस वक्त के अमेरिकी प्रतिष्ठान के साथ मतभेद में आए थे। इसके बाद 1954 में, भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने उनको भारतीय नागरिकता की पेशकश की थी।
देशभक्त थे ओपेनहाइमर
“अमेरिकन प्रोमेथियस” के लेखक और अमेरिकी वैज्ञानिक काई बर्ड के मुताबिक, ओपेनहाइमर ने पंडित नेहरू के इस प्रस्ताव पर विचार नहीं किया था। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बर्ड ने एक इंटरव्यू में बताया, ‘1954 में ओपेनहाइमर के अपमानित होने के बाद, नेहरू ने उन्हें भारत आने और नागरिक बनने की पेशकश की थी’। उन्होंने आगे कहा ‘लेकिन मुझे नहीं लगता कि ओपेनहाइमर ने इस पर गंभीरता से विचार किया होगा क्योंकि वह एक गहरे देशभक्त अमेरिकी थे।’