राहुल से संवाद में निकोलस बर्न्स बोले, कोरोना संकट के समय जी-20 देशों का एक मंच पर न आना दुखद
राहुल से संवाद में निकोलस बर्न्स बोले, कोरोना संकट के समय जी-20 देशों का एक मंच पर न आना दुखद

राहुल से संवाद में निकोलस बर्न्स बोले, कोरोना संकट के समय जी-20 देशों का एक मंच पर न आना दुखद

- शक्ति संतुलन पर बर्न्स बोले, चीन का नेतृत्व भयभीत - राहुल ने कहा, देश तोड़ने वाले खुद को कहते हैं राष्ट्रवादी नई दिल्ली, 12 जून (हि.स.)। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है। इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को पूर्व अमेरिकी राजनयिक निकोलस बर्न्स से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद किया। कोविड-19 के संक्रमण और उससे निपटने की दिशा में दोनों देशों के प्रयासों के साथ अमेरिका में वर्तमान के हालातों पर चर्चा हुई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा कोरोना संकट की घड़ी में भारत और अमेरिका के परस्पर संबंधों के बारे में पूछे जाने पर निकोलस बर्न्स ने कहा कि जी-20 देशों को इस संकट में साथ आना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, डोनाल्ड ट्रंप और शिंजो आबे जैसे नेता एक मंच पर नहीं आ सके। ट्रंप अमेरिका को अकेले आगे ले जाना चाहते हैं और जिनपिंग उनसे लड़ना चाहते हैं। राहुल गांधी ने पूछा कि क्या दुनिया का शक्ति संतुलन बदलने वाला है? इस पर अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा कि हर ओर यही बात चल रही है कि चीन जीत रहा है लेकिन ऐसा है नहीं। चीन बढ़ोतरी कर रहा है लेकिन अमेरिका उससे कहीं आगे हैं। चीन का नेतृत्व भयभीत है क्योंकि वहां लोकतंत्र नहीं है। जबकि भारत और अमेरिका लोकतंत्र के चैंपियन हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक बात अमेरिका-रूस-भारत-चीन जैसे देशों के एक साथ होने का है तो हमने अबतक क्लामेट चेंज जैसे बड़े मसलों को अलग रखा है। लेकिन अब एक ग्लोबल राजनीति को लेकर बात करनी होगी क्योंकि कुछ मुद्दे ऐसे आएंगे जहां पर हर किसी का साथ आना जरूरी है। कोरोना महामारी जैसी समस्या उन्हीं का एक भाग है। उन्होंने कहा पिछले 17 साल में कई तरह की बीमारियां दुनिया में सामने आई हैं लेकिन देश साथ नहीं आए, अगर आगे भी यही हाल रहा तो फिर किसी से लड़ने या प्रतिस्पर्धा के लिए कोई बचेगा ही नहीं। अमेरिका में काले लोगों के प्रदर्शन और हिंसा के विषय से बात की शुरुआत करते हुए राहुल ने पूछा कि अमेरिका में अभी के हालात इतने बिगड़े क्यों हैं? इस पर निकोलस बर्न्स ने कहा कि अमेरिका में यह दिक्कत रही है। पहले से अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों के बीच खींचतान रही है। उन्होंने कहा कि वैसे तो लोकतंत्र में प्रदर्शन करना गलत नहीं है लेकिन राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प इसे गलत समझते हैं। वहीं राहुल द्वारा भारत व अमेरिका दोनों को ही सहिष्णु देश तथा नए आइडिया को समझने का परिचायक बताने पर अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा कि आज अमेरिका के लगभग हर शहर में इस तरह का प्रदर्शन हो रहे हैं, जो लोकतंत्र के लिए मायने रखता है। भारत में भी यही है, वहां भी लोकतंत्र है और लंबे संघर्ष के बाद आजादी मिली है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि अमेरिका का लोकतंत्र फिर मजबूत होगा। भारत और अमेरिका में वर्तमान हालात को देखते हुए राहुल ने कहा कि जो लोग धर्म और जाति के नाम पर लोगों को बांट रहे हैं, वहीं खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं। इस पर निकोलस बर्न्स ने कहा कि मुझे लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप बिल्कुल ऐसे ही हैं, वो सोचते हैं कि वो सबकुछ ठीक कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी लोगों को प्रदर्शन का हक है लेकिन सत्ता में बैठे लोग लोकतंत्र को चुनौती दे रहे हैं। दोनों देशों के बीच बेहतर रिश्ते की जगह अब सिर्फ व्यापार महत्व रखता है, इस पर बर्न्स ने कहा कि हमारे देश में दोनों पार्टियां बहुत कम एक विचार पर आती हैं लेकिन अमेरिका हमेशा से ही भारत के साथ रहा है। दोनों देशों के बीच सबसे बेहतरीन संबंध लोगों के बीच हैं, जो देशों को साथ लाते हैं। आज भारतीय अमेरिकी लोग हमारे देश में हर जगह हैं, यही देश की खासियत है। उन्होंने कहा कि जहां तक भविष्य की बात है तो दोनों देशों के सैन्य रिश्ते काफी मजबूत हैं, फिर चाहे थल हो या फिर वायुसेना। हालांकि उन्होंने दोनों देशों में लोगों के आने-जाने पर सख्ती कम करने की सलाह दी। एच1बी वीजा पर काम करते हुए इसके नियमों को आसान बनाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी इन दिनों देश की अर्थव्यवस्था को लेकर लगातार विशेषज्ञों से संवाद कर रहे हैं। अमेरिका के पूर्व विदेश उपमंत्री निकोलस बर्न्स से पहले उन्होंने कोरोना संकट से निपटने के तरीकों को लेकर हेल्थ स्पेशलिस्ट आशीष झा, स्वीडिश महामारी विशेषज्ञ जोहान गिसेक, अर्थशास्त्री रघुराम राजन और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी से बातचीत कर चुके हैं। हिन्दुस्थान समाचार/आकाश/सुनीत-hindusthansamachar.in

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