​राष्ट्र की सुरक्षा हमारा 'नैतिक' और 'राष्ट्रीय' दायित्व: राजनाथ

​राष्ट्र की सुरक्षा हमारा 'नैतिक' और 'राष्ट्रीय' दायित्व: राजनाथ
​राष्ट्र की सुरक्षा हमारा 'नैतिक' और 'राष्ट्रीय' दायित्व: राजनाथ

- चीन के साथ 1962 के युद्ध में आम जनता ने ‘गर्म ऊन से लेकर गर्म खून’ तक किया था दान - राजस्थान के बर्धना खुर्द गांव के हर परिवार ने एक बेटे को सीमा पर भेजने का लिया था फैसला सुनीत निगम नई दिल्ली, 04 दिसम्बर (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने झंडा दिवस पर चीन के साथ सन 1962 में हुए युद्ध की याद ताजा करते हुए कहा कि युद्ध के दौरान राष्ट्र के प्रति भावना दिखाते हुए एक आह्वान पर देश की जनता ने ‘गर्म ऊन से लेकर गर्म खून’ तक खुशी-खुशी दान कर दिया था। रुपये-पैसे, गहने की तो कोई गिनती नहीं थी। राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति अपना उत्तरदायित्व निभाने के लिए हमें 'बड़े' और 'खुले' मन से आगे आना चाहिए। यह हमारा 'नैतिक' और 'राष्ट्रीय' दायित्व है। रक्षा मंत्री शुक्रवार को साउथ ब्लॉक में सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर रक्षा मंत्रालय के 'केंद्रीय सैनिक बोर्ड' की ओर से आयोजित वर्चुअल सीएसआर कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने राष्ट्र के प्रति भावना प्रदर्शित करने का एक और उदाहरण दिया कि राजस्थान के बर्धना खुर्द गांव के लोगों ने आपस में मिलकर यह निश्चय किया कि हम हर परिवार से एक-एक बेटे को सीमा पर भेजेंगे। सीमा पर जाने का परिणाम क्या हो सकता था, यह उन्हें अच्छी तरह मालूम था, फिर भी इस तरह का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि जो देश अपनी संप्रभुता की रक्षा कर पाने में समर्थ नहीं होते हैं, उनकी हालत हमारे पड़ोसी देश जैसी हो जाती है। जो न खुद से अपनी ‘सड़क’ बना सकते हैं, न उस पर चल सकते हैं, न खुद व्यापार कर सकते हैं और न ही किसी दूसरे को व्यापार करने से रोक सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे यहां देश और समाज के प्रति हर क्षेत्र में समर्थ लोगों के सहयोग की बड़ी पुरानी परंपरा है। चाहे प्राचीन काल में दधीचि या कर्ण जैसी महान विभूतियां हों या मध्यकाल में भामाशाह या रहीम की, सभी समाज और राष्ट्र की सेवा में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। आज का यह कार्यक्रम हमारे उन वीरों को समर्पित है, जिनके त्याग और बलिदान की वजह से हम और हमारा देश खुद को हर तरफ से महफूज समझता है। चाहे भारत की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए लड़े गए बहुआयामी युद्धों में जीत हासिल करना हो या फिर सीमा पार से हो रही आतंकी गतिविधियों का मुकाबला करना हो, हमारी सशस्त्र सेनाओं ने बड़ी मुस्तैदी से चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब दिया है। कोविड काल में पूर्व सैनिकों की समस्याएं और भी प्रकार से बढ़ी हैं। इसके बावजूद इस महामारी में भी हमारे पूर्व सैनिक पीछे नहीं रहे। उन्होंने कहा कि कुछ सालों से 'झंडा दिवस' के फंड में कई गुना की बढ़ोतरी हुई है। आप लोगों का यह सहयोग आपको भी उन सेनानियों की कतार में लाकर खड़ा कर देता है, जिन्हें आज हम स्वतंत्रता संग्राम में उनकी सेवा, समर्पण, और सहयोग के कारण याद करते हैं। हमें यश, प्रतिष्ठा और सम्मान से ऊपर उठकर अपने देश, अपने समाज, अपने लोगों की सेवा के लिए काम करना है। 'आर्म्ड फोर्सेज फ्लैग डे' में किया गया योगदान आयकर से बिल्कुल मुक्त है। मैं उन सभी संस्थाओं को धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने पिछले वर्ष अपना कीमती योगदान इस निधि में दिया। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in