हाथरस मामले में गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक की रिहाई का उप्र सरकार ने किया विरोध, 7 दिन के लिए सुनवाई टली
हाथरस मामले में गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक की रिहाई का उप्र सरकार ने किया विरोध, 7 दिन के लिए सुनवाई टली

हाथरस मामले में गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक की रिहाई का उप्र सरकार ने किया विरोध, 7 दिन के लिए सुनवाई टली

नई दिल्ली, 20 नवम्बर (हि.स.)। हाथरस मामले में हिंसा की साज़िश के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक की रिहाई के लिए केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की याचिका का उत्तर प्रदेश सरकार ने विरोध किया है। उप्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के सदस्य कप्पन की रिहाई की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि वह वकीलों के संपर्क में है। वह पीएफआई का सचिव है और जिस अखबार के पत्रकार के रूप में वह हाथरस जा रहा था, वह 2018 में बंद हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई एक हफ्ते के लिए टाल दी है। उप्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की इस दलील का विरोध किया कि कप्पन को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है। उन्होंने कहा कि कप्पन को एक कोर्ट ने हिरासत में भेजा है। जमानत पर नौ दिनों तक सुनवाई हुई है। याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई वकील कप्पन से मिलकर वकालतनामा पर हस्ताक्षर कराता है तो सरकार को कोई एतराज नहीं है। मेहता ने कहा कि वकील के मिलने पर न तो पहले कोई रोक थी और न अभी है। कोर्ट ने मेहता के इस बयान को रिकार्ड पर लेते हुए दोनों पक्षों को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। पिछली 16 नवम्बर को कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि मथुरा जेल में बंद कप्पन को वकील से भी नहीं मिलने दिया जा रहा है। सिब्बल ने कहा था कि एफआईआर में कप्पन के नाम का जिक्र नहीं किया गया है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम इस केस की मेरिट पर नहीं जा रहे हैं लेकिन आप हाई कोर्ट क्यों नहीं जा रहे हैं। हम चाहते हैं कि धारा 32 के तहत याचिकाएं दायर नहीं की जाएं। पिछली 12 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी। चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने की सलाह दी थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि उन्होंने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी लेकिन बाद में पता चला कि एक एफआईआर दर्ज की गई है और यूएपीए की धाराएं लगाई गई हैं। उन्होंने कहा था कि उप्र की कोई भी कोर्ट उन्हें जमानत नहीं देगी। हमें धारा 32 के तहत याचिका दायर करने दीजिए। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि आप इलाहाबाद हाई कोर्ट जाएं। सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई है। याचिका में कप्पन की गिरफ्तारी को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताते हुए तुरंत रिहाई की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि कप्पन की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल सरकार के मामले में किसी पत्रकार को अपने काम के दौरान गिऱफ्तार करने को गलत बताया था। कप्पन एक मलयाली आनलाइन न्यूज पोर्टल में कंट्रीब्यूटर हैं। पिछली 5 अक्टूबर को हाथरस टोल प्लाजा पर उप्र पुलिस ने तीन अन्य पत्रकारों अतीक-उर रहमान, मसूद अहमद और आलम को गिरफ्तार कर लिया था। उप्र पुलिस ने तीनों को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से संबंध होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक इन पत्रकारों के पास से मोबाइल फोन, लैपटॉप और कुछ साहित्य बरामद हुए हैं, जिनका शांति पर असर पड़ने की आशंका थी। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in