हमारे-संज्ञान-में-क्यूं-नहीं-आया-(व्यंग्य)
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हमारे संज्ञान में क्यूं नहीं आया (व्यंग्य)

गलती से सही समय पर मानसून आ जाने के कारण समाज का भला चाहने वालों की चिंताए भीगने लगी। उन्होंने लोकतान्त्रिक शैली में चुनी गई, नगर परिषद् की अध्यक्ष से मिलकर निवेदन किया कि प्राचीन मंदिर के पडोस में बचे खुचे तालाब में कई महीने से पोलीथिन, पलास्टिक व पूजा क्लिक »-www.prabhasakshi.com

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