विवादित ढांचा धराशायी होने पर ही राममंदिर निर्माण का मार्ग हुआ प्रशस्त : डॉ सुरेन्द्र जैन
विवादित ढांचा धराशायी होने पर ही राममंदिर निर्माण का मार्ग हुआ प्रशस्त : डॉ सुरेन्द्र जैन

विवादित ढांचा धराशायी होने पर ही राममंदिर निर्माण का मार्ग हुआ प्रशस्त : डॉ सुरेन्द्र जैन

देशभर के सवा पांच लाख गांवों के 65 करोड़ लोगों से 44 दिन में संपर्क कर रचेगा इतिहास विहिप हर्ष शाह अहमदाबाद, 25 दिसम्बर (हि.स.)। कर्मयोग का संदेश देने वाली गीता को मानने वाला हिन्दू हमेशा से कर्मयोगी रहा है। इसीलिए उन्होंने गीता जयन्ती पर ही 1992 में कारसेवा का निर्णय लिया था। यह सौभाग्य और गर्व का विषय है कि वो कलंक का टीका, जिसको हटाने का संघर्ष 1528 से किया जा रहा था, साल 1992 में गीता जयन्ती के दिन हट गया था। यह बात विश्व हिंदू परिषद के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन ने कही। वे शुक्रवार को यहां पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गीता जयन्ती पर भगवान श्रीकृष्ण की कर्मभूमि गुजरात में आकर मैं गौरव का अनुभव करता हूं और सभी को गीता जयन्ती की शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने कहा कि अयोध्या में विवादित ढांचा धराशायी होने के बाद ही राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ था। हिन्दू समाज के पुरुषार्थ साकार हुए और लाखों लोगों का बलिदान सार्थक हुआ। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राम मन्दिर का निर्माण प्रारम्भ हो गया। लेकिन इस मंदिर निर्माण के लिए सरकार से कोई पैसा नहीं लिया जायेगा। उन्होंने दावा किया कि ऐसे कई पूंजीपति भी आए, जिन्होंने मंदिर निर्माण का पूरा बजट देने को कहा लेकिन उनका आग्रह विनम्रता से अस्वीकार कर दिया। हमने निर्णय लिया, गांव-गांव तक जाएंगे, जन-जन तक जाएँगे, हर व्यक्ति को राम के साथ जोड़ेंगे और हर मोहल्ले, हर गांव, हर शहर, हर कस्बे में रहने वाले हर हिन्दू का सहयोग राम मन्दिर के निर्माण के लिए लेंगे। उन्होंने बताया कि हमारा पहले लक्ष्य था कि राम मंदिर निर्माण के लिए चार लाख गांवों के 11 करोड़ परिवारों से सम्पर्क कर 50 करोड़ हिन्दूओं का योगदान लेंगे। परंतु लोगों का उत्साह देखते हुए अब यह लक्ष्य बहुत बढ़ गया। अब 5,23,395 गांवों के 13 करोड़ से अधिक परिवारों के 65 करोड़ हिन्दुओं से सम्पर्क करने का लक्ष्य रखा गया है। अयोध्या में भव्य राम मन्दिर निर्माण के लिए निधि समर्पण अभियान में 10 लाख टोलियां बनी हैं, जिनमें 40 लाख कार्यकर्ता लगेंगे। उन्होंने दावा किया कि वैश्विक इतिहास का यह सबसे बड़ा सम्पर्क अभियान होगा। आने वाले तीन वर्ष के अन्दर भव्य मन्दिर निर्माण पूरा हो जायेगा। 2023 के अन्त तक मन्दिर के शिखर पर भव्य भगवा पताका लहराएगी। उन्होंने बताया कि गुजरात प्रान्त ने तय किया है कि अपने 18,556 गांवों से सम्पर्क व हर हिन्दू से निधि समर्पण कराने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए एक समिति भी बनाई गई है। जैन समाज का उत्साह तो अद्वितीय दिखाई दे रहा है। पूज्य पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज की प्रेरणा से पहले ही जैन समाज ने 25 किलो की चांदी की ईंट राम मन्दिर के निर्माण के लिए दी है। आखिर क्यों न हो। भगवान राम इक्ष्वाकु वंश के थे। 24 में से 22 तीर्थंकर इक्ष्वाकु वंश के ही तो हैं। इसीलिए हर जैन को भी यह लग रहा है कि यह राम मन्दिर उनका अपना मन्दिर है। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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