मेंटल हेल्थकेयर एक्ट के प्रावधानों को लागू करने की मांग वाली याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लेने का निर्देश
मेंटल हेल्थकेयर एक्ट के प्रावधानों को लागू करने की मांग वाली याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लेने का निर्देश

मेंटल हेल्थकेयर एक्ट के प्रावधानों को लागू करने की मांग वाली याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लेने का निर्देश

नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (हि.स.) । दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, सेंट्रल मेंटल हेल्थ अथॉरिटी, दिल्ली सरकार और दिल्ली स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी को निर्देश दिया है कि वह उस याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लें जिसमें मेंटल हेल्थकेयर एक्ट के प्रावधानों को लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के बाद ये आदेश दिया। याचिका वकील गौरव बंसल ने दायर की थी। याचिका में मेंटल हेल्थकेयर एक्ट की धारा 65(6) को लागू करने का दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है। मेंटल हेल्थकेयर एक्ट की धारा 65(6) के मुताबिक मेंटल हेल्थ इस्टेब्लिश्मेंट को अलग-अलग वर्गों के लिए न्यूनतम मानक अधिसूचित करना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि ये एक्ट 2017 में लागू किया गया और कहा गया कि 18 महीने के अंदर अलग-अलग वर्गों के लिए न्यूनतम मानक अधिसूचित किए जाएं, लेकिन अभी तक अधिसूचित नहीं किए गए। उके बाद कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार समेत सभी प्रतिवादियों को निर्देश कि वह याचिका पर लागू कानून, नियमों और नीतियों के मुताबिक निपटारा करें। याचिका में कहा गया था कि मेंटल हेल्थ इस्टेब्लिश्मेंट का मतलब है कि कोई भी हेल्थ इस्टेब्लिश्मेंट चाहे वह आयुर्वेदिक, योगा और होम्योपैथी से ही जुड़ा हुआ क्यों न हो, अगर वह पूर्ण या आंशिक रूप से मानसिक बीमारियों का इलाज करता है तो वह मेंटल हेल्थ इस्टेब्लिश्मेंट कहा जाएगा। लेकिन मेंटल हेल्थ इस्टेब्लिश्मेंट में रिहायशी इलाका नहीं गिना जाएगा। याचिका में कहा गया था कि मेंटल हेल्थ इस्टेब्लिश्मेंट मानसिक रूप से बीमार लोगों का ठीक से इलाज नहीं कर रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ संजय /-hindusthansamachar.in

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