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माखनलाल चतुर्वेदी ने लिखा था- पुलिस,वजीर सब किसान की कमाई का खेल
शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसने स्कूली शिक्षा के दौरान या फिर साहित्य-अध्ययन के दौरान ‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता न पढ़ी हो. चाह नहीं मैं सुरबाला के, गहनों में गूंथा जाऊं, चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध, प्यारी को ललचाऊं चाह नहीं सम्राटों के शव पर, हे हरि डाला जाऊं क्लिक »-hindi.thequint.com