नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में केंद्रीय विद्यालयों की भूमिका महत्वपूर्ण: निशंक
नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में केंद्रीय विद्यालयों की भूमिका महत्वपूर्ण: निशंक

नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में केंद्रीय विद्यालयों की भूमिका महत्वपूर्ण: निशंक

सुशील बघेल नई दिल्ली, 15 दिसम्बर (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के 57वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में केवीएस जैसे शक्तिशाली शैक्षिक संगठनों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होगी। केंद्रीय मंत्री ने हरिद्वार में आयोजित स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जहां एक ओर आईआईटी 'भारत के परिवर्तन' के साधन बन गए हैं वहीं दूसरी ओर केंद्रीय विद्यालय 'भारत के राष्ट्र विकास' के साधन हैं। उन्होंने कहा 57 वर्ष पहले 20 विद्यालयों के साथ शुरू हुआ यह अभियान आज पूरे भारत में 1245 केंद्रीय विद्यालय तक पहुंच गया है। साथ ही नेपाल, रूस और ईरान जैसे देशों में भी केंद्रीय विद्यालय स्थापित किए गए हैं। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे, केंद्रीय विद्यालय संगठन के सभी वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षक, विद्यार्थी, अभिभावक इत्यादि ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। केंद्रीय विद्यालयों की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं में अच्छे प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए निशंक ने कहा, "सीबीएसई द्वारा वर्ष 2020 के परीक्षा परिणाम केंद्रीय विद्यालय की शैक्षिक निपुणता को दर्शाते हैं।" उन्होंने कहा, "शिक्षा मंत्रालय, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कई शिक्षा सुधारों की शुरुआत कर चुका है, जिसमें से एक योग्यता आधारित शिक्षा का उपयोग भी है। मुझे विश्वास है कि भविष्य में आने वाले अन्य सुधारों के तहत केंद्रीय विद्यालय संगठन अन्य स्कूलों के लिए खुद को ‘मेंटर’ के रूप में मजबूत करेंगे।" इसके अलावा मंत्री ने कोरोना काल में केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा तत्परता के साथ स्कूली शिक्षा को डिजिटल माध्यम से अनवरत जारी रखने की भी प्रशंसा की। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बात करते हुए कहा, "भारत ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से एक नए भविष्य के निर्माण की आधारशिला रखी है। पूरे विश्व में शिक्षा को लेकर इतने बड़े रिफॉर्म का कोई दूसरा उदाहरण नहीं है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति ‘व्हाट यू थिंक’ (आप क्या सोचते हैं) से ‘हाउ टू थिंक’ (कैसे सोचना चाहिए) पर ध्यान केंद्रित करती है।" इसके क्रियान्वयन के लिए उन्होंने केंद्रीय विद्यालय संगठन का आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों ही इस नीति के ब्रांड अंबेसडर हैं। उन्होंने शिक्षकों और छात्रों का आह्वान करते हुए कहा कि इंडिया फर्स्ट की सोच के साथ भारत को ज्ञान की महाशक्ति एवं फ्यूचर रेडी बनाने के लिए अपना योगदान दें। स्कूल शिक्षा में केंद्रीय विद्यालय को खुद को ‘ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ (उत्कृष्टता के केंद्र) के रूप में स्थापित करना होगा ताकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार किया जा सके। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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