गन्ना किसानों के जीवन में आई मिठास, योगी सरकार में रिकॉर्ड एक लाख करोड़ से अधिक का भुगतान
गन्ना किसानों के जीवन में आई मिठास, योगी सरकार में रिकॉर्ड एक लाख करोड़ से अधिक का भुगतान

गन्ना किसानों के जीवन में आई मिठास, योगी सरकार में रिकॉर्ड एक लाख करोड़ से अधिक का भुगतान

-लाॅकडाउन में भी गन्ना किसानों को 5,954 करोड़ का किया गया भुगतान: सुरेश राणा -गन्ना एवं चीनी उत्पादन में उप्र लगातार तीन वर्षों से देश में प्रथम स्थान पर लखनऊ, 24 दिसम्बर (हि.स.)। योगी सरकार ने गन्ना किसानों का बकाया 1,12,829 करोड़ का रिकार्ड भुगतान करके उनके जीवन में मिठास लाने में सफलता हासिल की है। यह अब तक इतनी कम अवधि में किये गये भुगतान में सर्वाधिक है। प्रदेश में 45.44 लाख गन्ना आपूर्तिकर्ता किसान प्रदेश के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में विभाग की साढ़े तीन वर्ष की उपलब्धियों के दौरान इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 45.44 लाख गन्ना आपूर्तिकर्ता किसान है। लगभग 67 लाख गन्ना किसान, गन्ना समितियों एवं चीनी मिल समितियों मे पंजीकृत हैं। गन्ना इन 67 लाख गन्ना किसानों के लगभग 3.35 करोड़ 35 लाख परिजनों की जीविका का आधार एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है। एथनाॅल की आपूर्ति में उप्र देश का अग्रणी राज्य श्री राणा ने कहा कि गन्ना विभाग ने प्रदेश की कुल जीडीपी में 8.45 प्रतिशत एवं कृषि क्षेत्र की जीडीपी में 20.18 प्रतिशत का योगदान दिया है। देश के कुल चीनी उत्पादन का 47 प्रतिशत एवं गन्ना क्षेत्रफल का 59 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश का है। गन्ना एवं चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश लगातार तीन वर्षों से देश में प्रथम स्थान पर है। एथनाॅल ब्लेंडिंग प्रोग्राम के लिए ऑयल कम्पनियों को एथनाॅल की आपूर्ति में उत्तर प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है। वर्ष 2019-20 में लगभग 70 करोड़ लीटर एथनाॅल आपूर्ति की गयी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने विगत साढे़ तीन वर्षों में किसानों को कुल 1,12,829 करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान कराया गया, जो अब तक इतनी कम अवधि में किये गये भुगतान में सर्वाधिक है। इसके साथ ही पिछली सरकार के पांच वर्ष के भुगतान से ये 17,314 करोड़ अधिक भुगतान है। इस भुगतान के चलते ही आज राज्य के गन्ना क्षेत्र में इजाफा हुआ है। लाॅकडाउन अवधि में चीनी मिलों में चीनी बिक्री आदि अत्यंत कम हो जाने के बावजूद इस अवधि में भी गन्ना किसानों को 5,954 करोड़ रुपयं का भुगतान किया गया। बंद पड़ी चीनी मिलों का कराया संचालन गन्ना मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही सरकार ने पूर्वांचल की बंद पड़ी निगम क्षेत्र की चीनी मिल पिपराइच-गोरखपुर एवं मुण्डेरवा-बस्ती में 5,000 टीसीडी क्षमता की नई मिल का निर्माण किया। उन्होंने कहा कि पिपराइच चीनी मिल में भारत सरकार के एथेनॉल ब्लैन्डिंग कार्यक्रम के अन्तर्गत 120 केएलपीडी क्षमता की आसवनी भी स्थापित की जायेगी, जिसमें गन्ने के जूस एवं शीरे से एथेनॉल उत्पादन किया जायेगा। यह प्रदेश में गन्ने के जूस पर आधारित एथेनॉल उत्पादित करने वाला प्रथम प्लांट होगा। पिपराइच एवं मुण्डेरवा चीनी मिलों में सल्फरलेस प्लांट की स्थापना लाॅक डाउन की अवधि के बावजूद आठ माह की रिकॉर्ड अवधि में की गयी है। इससे उच्च गुणवत्ता की चीनी का उत्पादन सुनिश्चित हो सकेगा तथा इसके विक्रय से चीनी का और अधिक मूल्य प्राप्त होगा एवं गन्ना मूल्य का भुगतान भी समय से किया जा सकेगा। किसानों के अतिरिक्त गन्ने की आपूर्ति हुई सुगम श्री राणा ने कहा कि सहकारी क्षेत्र की रमाला चीनी मिल (बागपत) की पेराई क्षमता 2,750 से 5,000 टीसीडी एवं निगम क्षेत्र की मोहिद्दीनपुर (मेरठ) की पेराई क्षमता 2,500 से 3,500 टीसीडी की गई, जिससे किसानों के अतिरिक्त गन्ने की आपूर्ति सुगमता पूर्वक हो सके। उन्होंने कहा कि गन्ने की उपलब्धता को देखते हुए निजी क्षेत्र की 11 चीनी मिलों जैसे निगोही, ऊन, शामली, टिकोला, हरियांवा, बिलारी, वीनस, अगवानपुर, मोतीनगर, करीमगंज एवं बिसवां की पेराई क्षमता बढ़वायी गई, जिससे चीनी मिलों की पेराई क्षमता में 20,600 टीसीडी की वृद्धि हुई। नई चीनी मिलों एवं पेराई क्षमता विस्तार से प्रदेश की चीनी मिलों की कुल पेराई क्षमता में 29,250 टीसीडी की वृद्धि हुई। वर्ष 2011-12 से बंद पड़ी निजी क्षेत्र की चीनी मिलों वीनस (संभल), गागलहेड़ी (सहारनपुर) एवं वर्ष 2015-16 मे बंद हुई बुलन्दशहर (बुलन्दशहर) चीनी मिल का पुर्नसंचालन कराया गया। पूर्व की सरकारों में कुल 30 चीनी मिलें हुई थीं बंद उन्होंने कहा कि पूर्व के वर्षों में कुल 30 चीनी मिलें बंद हुई थीं, जबकि वर्तमान सरकार द्वारा निजी क्षेत्र की तीन बंद चीनी मिलों का पुनः संचालन कराया गया एवं निगम क्षेत्र की दो बंद चीनी के स्थान पर 5,000 टीसीडी की नई चीनी मिलों की स्थापना की गई। सहकारी क्षेत्र की 02 चीनी मिलों सठियांव एवं नजीबाबाद में डिस्टिलरी एवं एथनाॅल प्लांट की स्थापना की गई। सहकारी क्षेत्र की 06 आसवनियों में जेडएलडी की स्थापना कर पुर्नसंचालन कराया गया तथा 06 मिलों में तकनीकी अपग्रेडेशन किये गये। उन्होंने कहा कि देश में वर्ष 2018-19 मे 529 चीनी मिलें संचालित हुई थी, जबकि वर्ष 2019-20 में मात्र 459 चीनी मिलों का संचालन हुआ। महाराष्ट्र की 49, आन्ध्र प्रदेश की 06, तमिलनाडु की 08 एवं अन्य कई प्रदेशों की कई मिलों सहित देश की 70 चीनी मिलें इस वर्ष संचालित नहीं हुई, जबकि उत्तर प्रदेश में 2019-20 में सभी 119 चीनी मिलों का संचालन सुनिश्चित कराया गया। अभियान चलाकर 92,215 गन्ना किसानों को 126.61 करोड़ का कराया भुगतान गन्ना मंत्री ने कहा कि किसानों के वर्षों से लम्बित अनपेड गन्ना मूल्य का भुगतान किसानों को कराने के लिए अभियान चलाकर अब तक 92,215 गन्ना किसानों को लगभग 126.61 करोड़ की धनराशि का भुगतान कराया गया है। सभी चीनी मिलों के बैंक में खुलवाये गये 'एस्क्रो एकाउंट' उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहली बार विभागीय एवं चीनी मिल अधिकारियों के संयुक्त हस्ताक्षर से सभी चीनी मिलों के बैंक में 'एस्क्रो एकाउंट' खुलवाये गये। चीनी मिलों द्वारा चीनी, शीरा, खोई एवं प्रेसमड बिक्री से प्राप्त धन का 85 प्रतिशत एस्क्रो एकाउंट में जमा किया जायेगा। एस्क्रो एकाउंट के कारण चीनी मिलों में गन्ना मूल्य मद की धनराशि के व्यावर्तन पर पूर्ण अंकुश लगेगा। भारत सरकार द्वारा अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों को भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर एस्क्रो एकाउन्ट प्रणाली अपनाने के लिए एडवाइजरी जारी की गयी। बीते साढ़े तीन वर्षों में 3,262 लाख टन गन्ने की पेराई गन्ना मंत्री ने कहा कि विगत साढ़े तीन वर्षों में प्रदेश की चीनी मिलों द्वारा 3,262 लाख टन गन्ने की पेराई की गई है, जो विगत सरकार के चारवर्षों की कुल गन्ना पेराई से 2,907 लाख टन से 355 लाख टन अधिक है। विगत साढ़े तीन वर्षों में गन्ना उत्पादकता में 8.72 टन प्रति हेक्टेअर की वृद्धि हुई। वर्ष 2016-17 की गन्ना उत्पादकता 72.38 टन प्रति हेक्टेअर से बढ़कर अब 81.10 टन प्रति हेक्टेअर हो चुकी है। प्रदेश में वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 एवं 2019-20 में 365 लाख टन चीनी का रिकार्ड उत्पादन हुआ, जो इससे पूर्व के तीन वर्षों के कुल चीनी उत्पादन 211 लाख टन से भी 154 लाख टन अधिक है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल मे गन्ना क्षेत्रफल में 6.86 लाख हेक्टेअर की वृद्धि हुई। गन्ना क्षेत्रफल वर्ष 2016-17 के 20.54 लाख हेक्टेअर से बढ़कर अब 27.40 लाख हेक्टेअर हो चुका है। नई ऑनलाइन खाण्डसारी लाइसेसिंग नीति की गई जारी गन्ना मंत्री ने कहा कि पेराई सत्र 2018-19 में नई ऑनलाइन खाण्डसारी लाइसेसिंग नीति जारी हुयी। इस व्यवस्था के तहत 100 घंटे में अनिवार्यतः लाइसेंस जारी करने की सुविधा प्रदान की गयी। विगत 25 वर्षों में प्रथम बार 243 नई खाण्डसारी इकाइयों के लिए लाइसेंस जारी हुए, जिनमें से 133 इकाइयां संचालित हो चुकी हैं। जिनकी कुल पेराई क्षमता 25,400 टीसीडी है। संचालित 133 इकाइयों से ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 273 करोड़ का पूंजीगत निवेश होने के साथ ही लगभग 16,500 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार की प्राप्ति हुई है। 243 इकाइयों की स्थापना के बाद 59,950 टीसीडी की अतिरिक्त पेराई क्षमता का सृजन होगा, जिससे प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 1179.20 करोड़ का पूंजीगत निवेश होगा और लगभग 50,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार की प्राप्ति होगी। इसके अतिरिक्त लगभग चार से पांच लाख गन्ना किसानों को गन्ना आपूर्ति का लाभ मिलेगा। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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