खेल से प्रतिभा निखार सीमा पर दुश्मनों को मात देगा कानपुर का लेफ्टिनेंट देवांश
खेल से प्रतिभा निखार सीमा पर दुश्मनों को मात देगा कानपुर का लेफ्टिनेंट देवांश

खेल से प्रतिभा निखार सीमा पर दुश्मनों को मात देगा कानपुर का लेफ्टिनेंट देवांश

- फाइनल पास आउट पर पिता ने कहा, भारत मां की सेवा करना गर्व की बात कानपुर, 12 दिसम्बर (हि.स.)। भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) देहरादून में शनिवार को भारतीय सेना की ट्रेनिंग पूरी करने वाले अफसरों की फाइनल पासिंग आउट परेड हुई। इसमें कानपुर का होनहार देवांश शाही भी रहा, जो खेल से प्रतिभा निखार सीमा पर दुश्मनों को मात देने के लिए लेफ्टिनेंट बना। देवांश को राजपूताना राइफल्स में तैनाती मिली है। पासिंग आउट परेड में परिजन भी हिस्सा लिए और बेटे की सफलता के जश्न में शामिल हुए। जनपद के गोविन्द नगर स्थित ब्लॉक पांच में रहने वाले ठेकेदार विवेक शाही के घर में शनिवार को खुशी का ठिकाना न रहा, हो भी क्यों न उनका छोटा बेटा देवांश शाही भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गया। आज ही देहरादून के आईएमए में फाइनल पासिंग आउट होने के बाद देवांश को राजपूताना राइफल्स में तैनाती मिली है। देवांश की सफलता से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। बड़े भाई दुर्गेश ने बताया कि सेना में लेफ्टिनेंट बनकर देवांश ने शहर का नाम रोशन किया है। वह शुरु से ही पढ़ने में तेज था और प्ले गु्रप से लेकर इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई गोविन्द नगर के डा. वीरेन्द्र स्वरुप विद्यालय से की। 94 फीसद अंक के साथ 2014 में हाईस्कूल और 2016 में इंटरमीडिएट में भी 94 फीसद अंक हासिल किये। इसी वर्ष नवम्बर माह में उसका एनडीए में चयन हो गया और पुणे स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी में ट्रेनिंग शुरु की। दिसम्बर 2019 में पुणे से आईएमए देहरादून के लिए भेज दिया गया और आज फाइनल पासिंग आउट परेड पूरी कर ली। फाइनल पासिंग आउट कार्यक्रम में परिजनों ने भाग लिया और खुशी जाहिर की। पिता ने कहा कि भारत मां की सेवा करना और दुष्मनों के छक्के छुड़ाना गर्व की बात है। देवांश के परिवार में मां प्रियंका शाही, पिता विवेक शाही, बड़ा भाई दुर्गेश शाही और एक बहन वंशिका शाही हैं। बनना चाहता था खिलाड़ी "हिन्दुस्थान समाचार" से बातचीत में बड़े भाई दुर्गेश शाही ने बताया कि देवांश पढ़ने में शुरु से होनहार था, पर उसकी तमन्ना खिलाड़ी बनने की थी। वह कहता था कि कैरियर उसमें बनाओ जिससे देश का नाम रोशन हो। इसी के चलते उसने पहले बास्केटबॉल खेलना शुरु किया और मण्डल स्तरीय खेलों तक पहुंचा। इसके बाद क्रिकेट में प्रयास किया और मण्डल स्तर तक खेला, पर प्रदेश स्तर के फाइनल में नहीं हो सका। बिना कोचिंग पायी सफलता बड़े भाई ने बताया कि खेल के साथ वह पढ़ाई में बहुत अच्छा रहा और इंटरमीडिएट करने के वर्ष ही उसका चयन एनडीए में हो गया। बताया कि उसने किसी भी कोचिंग संस्थान से पढ़ाई नहीं की। हां उसको एक फायदा यह मिला कि मैं खुद सिविल सर्विसेज की तैयारी करता हूं उससे राह आसान हो गयी। हिन्दुस्थान समाचार/अजय/मोहित-hindusthansamachar.in

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