कोरोना संक्रमण में मेडिकल फैकल्टी ने दिखायी प्रतिबद्धता: राजनाथ
कोरोना संक्रमण में मेडिकल फैकल्टी ने दिखायी प्रतिबद्धता: राजनाथ

कोरोना संक्रमण में मेडिकल फैकल्टी ने दिखायी प्रतिबद्धता: राजनाथ

- रक्षामंत्री ने केजीएमयू के 115वें स्थापना दिवस समारोह को वर्चुअल किया सम्बोधित लखनऊ, 22 दिसम्बर (हि.स.)। रक्षा मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह ने राजधानी की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के 115वां स्थापना दिवस समारोह को मंगलवार को वर्चुअल सम्बोधित किया। इस दौरान उन्होंने संस्थान की प्रगति की सराहना की और भविष्य के लक्ष्य निर्धारित करने पर जोर दिया। रक्षा मंत्री ने कोराना संक्रमण काल में चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टॉफ के योगदान की प्रशंसा की और उन्हें असली 'सुपर हीरो' बताया। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में मेडिकल फैकल्टी ने प्रतिबद्धता ना दिखाई होती तो कोई भी बैटमैन व सुपरमैन इस दुनिया को नहीं बचा सकता था। मेडिकल फैकल्टी में बहुत लम्बे समय तक याद किया जाएगा 2020 राजनाथ सिंह ने कहा कि 2020 का यह वर्ष लगभग खत्म होने को है। यह साल पूरी दुनिया में और खासतौर पर मेडिकल फैकल्टी में बहुत लम्बे समय तक याद किया जाएगा। इस साल कोरोना की वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया को एक ऐसी जंग लड़ने के लिए मजबूर किया, जिसकी अधिकांश लोगों ने कभी कल्पना नहीं की थी। उन्होंने कहा कि जब हम सामान्य जंग की बात करते हैं, तो हमारे सामने सबसे पहले फौज और हत्यारों की तस्वीरें दिखाई देती हैं। लेकिन, कोरोना से लड़ना यह कैसी असाधारण जंग है, जिसकी फ्रंटलाइन पर भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ को योद्धाओं की तरह लड़े और लड़ रहे हैं। चिकित्सकों के परिश्रम को शब्दों में नहीं किया जा सकता बयान उन्होंने कहा कि शुरुआत में तो चिकित्सकों को जिस तरह परिश्रम करना पड़ा, उसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। बिना थके, बिना रुके लगातार वे काम करते रहे और ऐसे हालात में लड़ते रहे, जो उन्होंने और उनकी पहले की चार पीढ़ियों ने देखा तक नहीं था। रक्षा मंत्री ने कहा इससे पहले पूरी दुनिया में करीब सौ साल पहले 1918 में स्पेनिक फ्लू के दौरान ऐसी स्थिति देखी गई थी। वहीं वर्तमान में ये लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। वैक्सीन वितरण की पूरी तैयारी, मेडिकल टीम को प्राथमिकता उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए प्रकार की पहचान हुई है, जो चिंता का विषय है। यह जंग तब तक जारी रहेगी, जब तक दुनिया में वैक्सीन सभी लोगों तक पहुंच नहीं पाती है। उन्होंने कहा कि इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में कहते हैं कि जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं। हमें इसे पूरी गंभीरता से लेना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने सामान्य तौर पर यह सहमति बन चुकी है कि जब देश में वैकसीन लगाने का सिलसिला शुरू होगा तो सबसे पहले यह चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को लगाई जाएगी। उन्होंने कहा वैक्सीन वितरण की पूरी तैयारी भी की जा चुकी है। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे देश के वैज्ञानिक जल्द से जल्द वैक्सीन से जुड़े सारे टेस्ट और ट्रायल को पूरा कर लेंगे। उन्होंने कहा हालांकि रूस में बनी स्पूतनिक वैक्सीन की खेप भी जल्द भारत आ रही है। केजीएमयू की पूरे देश में हैसियत और अहमियत उन्होंने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में केजीएमयू सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरी भारत ने अपनी हैसियत और अहमियत रखती है। इसकी अपनी एक विश्वसनीयता है। यह संस्थान अब तक करोड़ों रोगियों का उपचार कर चुका है। कुछ संस्थान ऐसे होते हैं जिनका जिक्र होते ही मन में पहला भाव सम्मान और आभार का आता है। केजीएमयू ऐसा ही एक संस्थान है। रक्षा मंत्री ने कहा कि केजीएमयू की अहमियत इस बात से ही पता चलती है कि संस्थान ने चिकित्सा क्षेत्र को ऐसे ऐसे दिग्गज दिए हैं, जो खुद में एक इंस्टिट्यूशन है। यही कारण है कि इस प्रतिष्ठित संस्थान में आने का अवसर मिलने पर गौरव की अनुभूति होती है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज का अवसर उन्हें पूरी मेडिकल फैकल्टी के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर दे रहा है। मेडिकल फैकल्टी के सदस्य असली 'सुपर हीरो', करें सम्मान उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से लड़ते हुए हमारी मेडिकल फैकल्टी ने जिस तरह से काम किया है, उसे पूरी मानवता हमेशा याद रखेगी। उन्होंने सोशल मीडिया पर काफी शेयर की गई एक तस्वीर का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें सभी सुपर हीरो चिकित्सकों को एक मेडिकल हॉल से गुजरते हुए लोगों ने झुकते हुए अपना सम्मान प्रकट किया। यह तस्वीर आज की दुनिया का सबसे सही चित्रण है, जो यह दर्शाती है कि आज वास्तविक 'सुपर हीरो' जिनका हम सभी सबको सम्मान करना चाहिए वह हमारी मेडिकल फैकल्टी के सदस्य ही हैं। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में मेडिकल फैकल्टी ने प्रतिबद्धता ना दिखाई होती तो कोई भी बैटमैन व सुपरमैन इस दुनिया को नहीं बचा सकता था। रक्षा मंत्री ने कहा कि कोरोना संकट में पूरी दुनिया ने समझ लिया कि हमारे असली सुपरमैन और वंडर वूमेन हमारे डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ ही हैं। उन्होंने कहा कि इस महामारी के दौरान जिस प्रकार से अत्यंत समर्पण भाव से मेडिकल फैकल्टी ने लोगों की सेवा की, नि:स्वार्थ भाव से अपना सामाजिक दायित्व निभाया, पूरी मानवता उसकी हमेशा ऋणी रहेगी। उन्होंने कहा कि इस देखते हुए विशेष तौर पर युवा वर्ग प्रेरणा ले। मेडिकल समुदाय ने सर्विस का उत्कृष्ट उदाहरण किया पेश उन्होंने कहा कि यह कोई साधारण बात नहीं थी कि जब देश और दुनिया के लोगों को घर पर रहने की सलाह दी जा रही थी, तब हमारी मेडिकल कम्युनिटी के लोग प्रोफेशनल तौर पर और सर्विस का उत्कृष्ट उदाहरण देते हुए लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं देने में जुटे हुए थे। उन्होंने कहा हमारे देश की सांस्कृतिक परंपरा में 'सभी सुखी हों' इसकी कामना करने के बाद हम सबसे पहले 'सभी स्वस्थ हों' इसकी कामना करते हैं। इसके पीछे बड़ी वजह है कि सदियों से भारत के लोग यह मानते रहे हैं कि स्वास्थ्य और ज्ञान से बड़ा कोई धन दूसरा नहीं है। सौ वर्षों से लोगों की मदद कर रहा केजीएमयू उन्होंने कहा कि केजीएमयू 100 साल से भी अधिक समय से लोगों की मदद करता रहा है। भारतीय परम्परा में तीन लोग को भगवान का दर्जा दिया गया है। इनमें मां जो जन्म देती है, शिक्षक जो जीवन के संघर्षों के लिए तैयार करता है और चिकित्सक जो रोग को दूर करते हुए जीवन को बचाता है। तीनों का हमारे जीवन में योगदान होता है, वह अनमोल है 2050 में केजीएमयू को खड़ा हो, तय करना बेहद जरूरी उन्होंने कहा कि लखनऊ में केजीएमयू की जो एक शताब्दी से लेकर पुरानी परम्परा है, उस पर हम हमें गर्व है। लेकिन, किसी भी डायनामिक इंस्टिट्यूशन का महत्व उसके इतिहास के साथ-साथ उसके भविष्य पर भी निर्भर करता है। इसलिए आज 2020 में जब हम खड़े हैं, तो एक संस्थान के रूप में केजीएमयू को हम 30 साल बाद यानी 2050 में कहां देखना चाहते हैं, यह तय करना भी काफी जरूरी हो जाता है। क्या ये संस्थान पूरी दुनिया में एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में अगले तीस सालों में स्थापित नहीं हो सकता है, यह संभव है। प्रधानमंत्री ने हॉलिस्टिक अप्रोच का अपनाया उन्होंने कहा कि अच्छी सेहत एक ऐसा विषय है जो रोग और इलाज के अलावा एक ऐसे हॉलिस्टिक अप्रोच से जुड़ी हुई है। जिसमें स्वास्थ्य केवल बड़े-बड़े अस्पतालों तक ही निर्भर नहीं है इस हॉलिस्टिक अप्रोच को अपनाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष्मान मंत्रालय का गठन किया। इसमें तमाम परंपरागत पद्धतियों का समर्थन करना और उन्हें बढ़ावा देना यह हमारी सरकार का उद्देश्य है। आज हम अनेक प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों से परिचित हैं। तौर-तरीकों में भिन्नता के बावजूद सभी चिकित्सा पद्धतियां एक ही लक्ष्य की तरफ बढ़ती हैं और वह लक्ष्य मनुष्य को उत्तम और बेहतर स्वास्थ्य का सुख देना है। छोटा, बड़ा, अजीबोगरीब या हास्यास्पद लेकिन सोचें जरूर रक्षा मंत्री ने कहा कि युवा अधिक से अधिक प्रश्न करना सीखें। हमें यही जान कर संतुष्ट नहीं होना है कि बुखार में पेरासिटामोल का इस्तेमाल करें। हमें भी यह सोचना होगा कि पेरासिटामोल ही क्यों, या बुखार में इसका और अच्छा क्या विकल्प हो सकता है। उन्होंने युवाओं से अपील की है कि वह छोटा सोचें, बड़ा सोचें, अजीबोगरीब सोचें, हास्यास्पद सोचें, पर सोचें जरूर। सोचें कि अचानक दुनिया से पेरासिटामोल खत्म हो गया तो वह बुखार के लिए क्या करेंगे? खुद से भी और अपने शिक्षकों, गाइड से प्रश्न करें। लेकिन, सकारात्मक रूप से जरूर सोचें। युवा डॉक्टर आर्मी मेडिकल कोर में सेवा के लिए आएं आगे राजनाथ सिंह ने देश के रक्षा मंत्री होने के नाते युवा चिकित्सकों से आर्म्ड फोर्स में अपनी सेवाएं देने के लिए आगे आने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केजीएमयू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी इसी रक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। भारतीय आर्म्ड फोर्सेस को युवाओं की सेवाओं की जरूरत भी है। इससे उन्हें अपने काम के साथ देश सेवा का आनंद मिल सकेगा। स्थापना दिवस समारोह में मेधावियों की प्रतिभा का हुआ सम्मान स्थापना दिवस समारोह में मेधावियों को मेडल प्रदान किया गया। दीक्षा समारोह में टॉपर्स को मेडल दिए गए। वहीं, फाउंडेशन डे में विभिन्न प्रोफेशनल एक्जाम में सर्वोच्च अंक पाने वाले मेधावियों को मेडल मेडल मिले। इसमें सर्वाधिक मेडल पर बेटियों का कब्जा रहा। दीक्षा समारोह में सर्वोच्च मेडल पर कब्जा जमाने वाले 50 फीसद से ज्यादा बेटे हैं। वहीं, स्थापना दिवस में वर्ष 2019 व 2020 के मेधावियों को एक साथ मेडल प्रदान किए गए। इसमें 2019 के मेधावियों में 70 फीसदी बेटियां हैं, 30 फीसदी लड़के हैं। 2020 के मेधावियों में 60 फीसदी बेटियां हैं, 40 प्रतिशत बेटों ने बाजी मारी है। वर्ष 2019 में एनआरसी कानून के प्रदर्शन के चलते स्थापना दिवस टाल दिया गया था। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत-hindusthansamachar.in

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