कोरोना काल में जारी रहीं एनसीपीयूएल की सरगर्मियां : निदेशक डॉ. शेख अकील
कोरोना काल में जारी रहीं एनसीपीयूएल की सरगर्मियां : निदेशक डॉ. शेख अकील

कोरोना काल में जारी रहीं एनसीपीयूएल की सरगर्मियां : निदेशक डॉ. शेख अकील

-लॉकडाउन और अन-लॉक के दौरान देशभर में ऑनलाइन सेमिनार, वेबिनार, मीटिंग आदि का आयोजन करके हजारों लोगों के साथ जुड़कर उर्दू भाषा के विकास का किया गया कार्य - नवीनतम तकनीक के जरिये सुदूर बैठकर भी कर सकते हैं काम की निगरानी नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (हि.स.)। कोविड-19 महामारी की वजह से लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन में लगभग सभी गतिविधियां थमी सी रहीं लेकिन केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाले राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद (एनसीपीयूएल) ने पहले दिन से ही न केवल अपने काम को जारी रखा बल्कि इसे गति देने का दृढ़ निश्चय किया है। इसके तहत एनसीपीयूएल ने टेक्नोलॉजी का सहारा लिया और देशभर में फैले अपने नेटवर्क में पठन-पाठन का काम सुचारु रखा। एनसीपीयूएल में लॉकडाउन और अन-लॉक के दौरान देशभर में ऑनलाइन सेमिनार, वेबिनार, मीटिंग आदि का आयोजन करके हजारों लोगों के साथ जुड़कर उर्दू भाषा के विकास और उत्थान के लिए रणनीति बनाकर काम किया है। इसके जरिए संचालित होने वाले कंप्यूटर सेंटर और उर्दू, फारसी, अरबी सेंटरों में पढ़ने वाले बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा देने का काम किया गया है। एनसीपीयूएल के निदेशक डॉ. शेख अकील अहमद का कहना है कि लॉकडाउन ने हमें और भी बेहतर तरीके से काम करने और अपने नेटवर्क की सही तरीके से निगरानी करने का अवसर प्रदान किया। उनका कहना है कि जहां संस्थान की तरफ से एक सेमिनार आयोजित करने के लिए काफी समय लगाना पड़ता है वहीं नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके चंद दिनों में ही हजारों लोगों तक अपनी बात पहुंचाई जा सकती है और सेमीनार और मीटिंग वगैरह करके उसे अच्छी तरह से आयोजित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस तरह के कार्यों में समय और धन का भी कम इस्तेमाल हो रहा है। राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत काम करता है। परिषद को मंत्रालय की तरफ से उर्दू भाषा के विकास और उत्थान के लिए सालाना 84 करोड़ रुपये का बजट दिया गया। परिषद का मुख्य कार्य देश में उर्दू भाषा का प्रचार प्रसार करना है। कौंसिल के डायरेक्टर शेख अकील के अनुसार लॉकडाउन के दौरान भी परिषद ने अपना काम बंद नहीं किया बल्कि नई तकनीक का इस्तेमाल करके ऑनलाइन सेमिनार, वेबिनार और मीटिंग आदि का आयोजन करते हुए अपने पूरे नेटवर्क को सुचारू रूप से जारी रखा। अपने कंप्यूटर सेंटर और उर्दू ,फारसी, अरबी सेंटरों में पढ़ने वाले बच्चों को ऑनलाइन माइक्रोसॉफ्ट मीट के माध्यम से शिक्षा देने का काम किया है। इसके अलावा ऑनलाइन सेमिनार, वेबिनार और मीटिंग आदि का आयोजन गूगल मीट सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके किया गया है। परिषद का नेटवर्क देश के 27 राज्यों में फैला हुआ है। पिछले दो सालों में परिषद ने अपने स्तर पर दो अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के साथ साथ 28 राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार का आयोजन किया है। इसके अलावा विभिन्न गैर सरकारी संगठनों को 3 करोड़ की अनुदान राशि प्रदान करके 933 सेमिनार का आयोजन देशभर में किया गया है। परिषद की तरफ से देश भर में 2876 सेंटरों पर उर्दू, फारसी, अरबी और कैलीग्राफी के सर्टिफिकेट कोर्स कराए जाते हैं। इसके साथ ही 536 केन्द्र पर कंप्यूटर कोर्स कराया जा रहा है। इन सब सेंटरों की निगरानी करना और यह देखना कि वहां पर पठन-पाठन का काम सही तरीके से चल रहा है या नहीं। यह बहुत ही चुनौती भरा काम था मगर तकनीक का इस्तेमाल करके ऑनलाइन सुविधाएं उपलब्ध करा कर लॉकडाउन के दौरान इसे आसानी से पूरा किया गया है। परिषद के निदेशक का कहना है कि लॉकडाउन ने हमारे कामों को आसान बनाने का काम किया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में बैठकर पूरे देश में चल रहे कार्य की निगरानी आसान नहीं है लेकिन हमने ऑनलाइन सुविधाएं उपलब्ध कराने के बाद देखा कि निगरानी का काम बहुत ही अच्छे तरीके से किया जा सकता है। दिल्ली में बैठकर हमारे अधिकारी किसी भी सेंटर में क्या चल रहा है, उसे देख सकते हैं और उन्हें निर्देश भी दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि देश भर में उर्दू भाषा के विकास और उत्थान के लिए काम किया जाए। बजट की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। इसीलिए परिषद अपनी पूरी ताकत के साथ काम कर रहा है और हमारे काम में लॉकडाउन ने भी कोई रुकावट पैदा नहीं की है। हिन्दुस्थान समाचार/एम ओवैस/मोहम्मद शहजाद/रामानुज-hindusthansamachar.in

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