किसानों की सुरक्षित आय सुनिश्चित करने से आचार्य रंगा की आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी : उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली, 07 नवम्बर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को भारतीय कृषि को टिकाऊ और लाभदायक बनाने के लिए बहुपक्षीय प्रयास किए जाने का आह्वान करते हुए कहा कि हम अपने दृष्टिकोण और प्रक्रियाओं में बदलाव लाकर कम क्षेत्र में ही अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सक्षम होंगे। रंगा ट्रस्ट द्वारा आयोजित आचार्य एन.जी. रंगा के 120वीं जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए नायडू ने कहा कि एक सच्चे धरती पुत्र आचार्य एन.जी. रंगा को स्वामी सहजानंद सरस्वती के साथ भारतीय किसान आंदोलन का जनक माना जाता है। उन्होंने कहा कि सभी किसानों की सुरक्षित आय सुनिश्चित करने से आचार्य एन.जी. रंगा की महत्वपूर्ण आकांक्षा को पूरा करने में मदद मिलेगी, जो किसानों के लिए कल्याणकारी थी। उन्होंने कहा कि आचार्य रंगा के लिए राजनीति और सार्वजनिक जीवन एक मिशन था और उन्होंने हमेशा मूल्य आधारित राजनीति का अनुपालन किया। आचार्य रंगा के बहस और संसदीय आचरण के उच्च मानकों के बारे में बात करते हुए, नायडू ने कहा कि जब आचार्य रंगा संसद में बात करते थे तो उन पर विशेष ध्यान दिया जाता था। नायडू ने कहा कि उच्च सदन के अध्यक्ष के रूप में, उन्हें बहस के मानकों में हो रही गिरावट को देखकर बहुत पीड़ा होती है। उन्होंने सभी कानून निर्माताओं से आचार्य रंगा के जीवन और शिक्षा का अध्ययन करने का अनुरोध किया और कहा कि सांसदों को उनके आचरण से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। बहस रचनात्मक होनी चाहिए विघटनकारी नहीं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आचार्य रंगा संसद में किसानों की आवाज थे और उन्होंने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि किसानों को उनकी कड़ी मेहनत का फल मिलना चाहिए। उन्होंने पारंपरिक ज्ञान और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बीच प्रभावी तालमेल स्थापित करने आह्वान किया। नायडू ने कहा कि स्थानीय नवाचारों को लोकप्रिय बनाने की जरूरत है ताकि उनका अन्य क्षेत्रों में भी उपयोग किया जा सके। कृषि में प्रौद्योगिकी की नई लहर का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि बुनियादी मशीनीकरण का देश के सभी क्षेत्रों में विस्तार किया जाना चाहिए, हमें अत्याधुनिक तकनीकों पर पर्याप्त ध्यान देना चाहिए क्योंकि ये पूरी दुनिया में प्रचलित कृषि के तरीकों में परिवर्तन ला रहीं है। अधिक जलवायु लचीली बीज प्रजातियों के विकास का आह्वान करते हुए उन्होंने सुनिश्चित-कृषि प्रक्रियाओं को अपनाने पर जोर दिया, जो ड्रिप सिंचाई, ड्रोन और सेंसरों के उपयोग के साथ अब रोजमर्रा का क्रम बन गये हैं और एक-एक पौधे की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों का किसानों को लाभान्वित करने वाले अनुसंधान पर ध्यान देने का आह्वान किया और कहा कि "लैब-टू-लैंड ही इन कृषि विश्वविद्यालयों का मंत्र होना चाहिए। उन्होंने किसानों के लिए 'इनोवेशन, जनरेशन और मोटिवेशन' का मंत्र भी दिया ताकि वे समय के बदलाव और अनिश्चितताओं का मुकाबला कर सकें। इस मंत्र का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि तकनीकी नवाचारों का लाभ उठाया जाना चाहिए। अगली पीढ़ियों को कृषि चुनौतियों का सामना करना चाहिए। किसानों को मदद की जरूरत है तथा उन्हें उनके महान प्रयासों के लिए प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिए। नाबार्ड के अध्यक्ष जी.आर. चिन्तला, नाबार्ड के चेयरमैन, डॉ. चेरुकुमल्ली श्रीनिवास राव, निदेशक एनएएआरएम, आईसीएआर, डॉ. जी.मुनिरत्नम नायडू, संस्थापक महासचिव, राष्ट्रीय सेवा समिति, डॉ. ए. श्रीनिवासन, जलवायु परिवर्तन सलाहकार, एशियाई विकास बैंक, श्री आर. किशोर बाबू, रंगा ट्रस्ट, अल्ला वेंकटेश्वर राव, चेयरमैन ओंगोल रंगा ट्रस्ट तथा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस समारोह के उद्घाटन में ऑनलाइन भाग लिया। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील-hindusthansamachar.in