टेक के दुनिया में साइबर क्राइम का डर, जानें कैसे होती है पहचान चोरी?

इंटरनेट की दुनिया में साइबर क्राइम का नाम शायद ही कोई ना जानता हो। साइबर क्राइम के ठगी के कारण लोगों की सालो की कमाई दो मिनट में छू मंतर हो जाता है।
टेक के दुनिया में साइबर क्राइम का डर, जानें कैसे  होती है पहचान चोरी?

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। इंटरनेट की दुनिया में साइबर क्राइम का नाम शायद ही कोई ना जानता हो। साइबर अपराध, साइबर चोरी, साइबर ठग, साइबर घुसपैठ तो आपने सुना ही होगा। आए दिन लोग इसका शिकार होते हैं। साइबर क्राइम की ठगी के कारण लोगों की सालों की कमाई दो मिनट में छू मंतर हो जाती है। साइबर क्रिमिनल बड़े चालाकी से लोगों के डिटेल ले लेते हैं। आप सोचें अगर आपके पहचान का कोई साइबर जैसे अपराध के लिए प्रयोग करे तो क्या होगा। पहचान चोरी सुनते ही लोगों के दिमाग में तरह- तरह के सवाल आने शुरू हो जाते हैं।

क्या होता साइबर क्राइम ?

साइबर क्राइम ऐसी क्रिमिनल एक्टिविटी है जिसमें कंप्यूटर, नेटवर्क डिवाइस या नेटवर्क के जरिए ठगी की जाती है।। साइबर अपराधी इसके जरिए प्राइवेसी से लेकर पैसे तक उड़ा ले जाते हैं। डेटा हैकिंग, फिशिंग मेल, ओटीपी फ्रॉड और मोबाइल फ्रॉड, सेक्सटॉर्शन जैसे तमाम अपराध हैं जिन्हें साइबर अपराधी अंजाम देते हैं। साइबर क्राइम से जुड़े मामलों को पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां दोनों देखती हैं।

क्या होती है पहचान चोरी ?

पहचान चोरी को आम भाषा में समझे तो यह है कि अगर कोई व्यक्ति आपकी अनुमति के बिना आपके निजी डाटा का उपयोग करे तो इसे पहचान चोरी कहते हैं। चोरी होने की स्थिति में आपके क्रेडिट कार्ड,नाम, पता, बैंक खाता विवरण और अन्य जानकारी का दुरुप्रयोग किया जा सकता है

11 फीसदी महिलाओं को शिकार बनाया गया

एक सर्वे के मुताबिक 23 फीसदी पुरुषों ने कहा है कि वे पहचान चोरी का शिकार हुए है। वहीं 11 फीसदी महिलाओं को शिकार बनाया गया है। एक चौथाई से ज्यादा लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट से उनके डिटेल चोरी की गई थी। बता दें कि दूसरों के नाम का इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए किया जाता है.

जरूरी जानकारी ही साझा करें

  • सोशल मीडिया में जरूरत से ज्यादा शेयर ना करें।

  • बिना पहचान के किसी अंजान व्यक्ति का फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार ना करें।

  • अपनी निजी जानकारी जैसे क्रेडिट कार्ड, बैंक खाता किसी से शेयर ना करें।

  • किसी अंजान से वीडियो कॉल पर बांट ना करें।

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