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(अपडेट) भारत से चीनी का वादा, अवरोध रहित होगी जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति

- राष्ट्रपति शी जिंगपिंग ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा मदद का पत्र नई दिल्ली, 30 अप्रैल (हि.स.)। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर को टेलीफोन कर बातचीत की, जिसमें दोनों नेताओं ने वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति के साथ ही कोरोना महामारी से निपटने के उपायों पर चर्चा की। चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजे गए पत्र के बाद चीनी विदेश मंत्री ने एस. जयशंकर से संपर्क किया। विदेश मंत्री जयशंकर ने इस संबंध में ट्वीट कर बताया कि बातचीत के दौरान उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान आपूर्ति श्रृंखला में कोई व्यवधान नहीं डाले जाने और हवाई उड़ानों को बाधा रहित बनाए रखने पर जोर दिया। विदेश मंत्रालय के अनुसार जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री को बताया कि भारत की कंपनियों ने चीन से कच्चे माल और अन्य सामग्री को वाणिज्यक आधार पर मंगाने की पहल की है। इसके लिए जरूरी है कि विभिन्न प्रकार के परिवहन गलियारे और मालवाहक विमानों की उड़ान को बाधा रहित बनाया जाए। माल की आवाजाही को सुगम बनाने की आवश्यकता है। जयशंकर ने कहा कि महामारी एक गंभीर चुनौती है, जिसमें सभी देशों को प्रभावित किया है। इस चुनौती का सामना करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। वांग यी ने विदेश मंत्री जयशंकर की ओर से उठाए गए विभिन्न मुद्दों के बारे में आवश्यक कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया। वांग यी ने कहा कि चीन सरकार सुनिश्चित करेगी की भारत को सभी आवश्यक सामग्री की आपूर्ति बिना किसी विलंब के हो। उन्होंने कहा कि चीनी कंपनियों को प्रोत्साहन और समर्थन दिया जाएगा, ताकि वह भारत को आवश्यक सामग्री की आपूर्ति कर सकें। हवाई अड्डों, सीमा शुल्क विभाग और विमान कंपनियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वह माल की आवाजाही को सुचारू बनाएं। चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत से आने वाली चार्टर विमान उड़ानों का स्वागत है तथा इस संबंध में भारत की ओर से उठाए गए विशेष मुद्दों का तेजी से सामाधान किया जा रहा है । उन्होंने यह भी पेशकश की कि भारत को किसी प्रकार की अन्य सहायता चाहिए तो उसके लिए भी चीन सरकार तैयार है। जयशंकर ने चीनी नेता की ओर मिले इस आश्वासन का स्वागत किया। चीनी विदेश मंत्री ने भारत के सामने मौजूद कोरोना महामारी की चुनौती के बारे में सहानुभूति व्यक्त की। दोनों नेताओं ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के समक्ष मौजूद इस भयावय चुनौती का सामना करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर भी चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि हमने पूर्वी लद्दाख की स्थिति के बारे में मास्को समझौते पर भी चर्चा की। विदेश मंत्री के अनुसार मास्को समझौते का ईमानदारी से पूरी तरह पालन किया जाना चाहिए। इससे वास्तविक नियंत्रण रेखा के सभी टकराव वाले स्थानों से सैनिकों की वापसी हो पाएगी। इसके जरिए ही पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह शांति और सामान्य स्थिति बहाल की जा सकती है। दोनों विदेश मंत्रियों ने इस संबंध में आगे भी विचार-विमर्श जारी रखने का फैसला किया। बातचीत के दौरान भारत की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली ब्रिक्स शिखर वार्ता पर भी चर्चा हुई। वांग यी ने कहा कि वह ब्रिक्स और रिक (रूस, भारत और चीन) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शिरकत करेंगे। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष गलवान घाटी में सैनिक संघर्ष के बाद जयशंकर और वांग यी के बीच मास्को में मुलाकात हुई थी। इसमें सीमा पर टकराव रोकने और सामान्य स्थिति की बहाली के उपायों पर सहमति बनी थी। शुक्रवार को दोनों विदेश मंत्रियों के बीच वार्ता ऐसी खबरों के बीच हुई है जिनमें कहा गया था कि भारत को भेजे जाने वाली चिकित्सा सामग्री और संपर्क संबंधी हवाई उड़ानों में दिक्कत पेश हो रही है। इसी बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना महामारी से हुई जनहानि पर संवेदना व्यक्त की तथा वर्तमान संक्रमण के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए भारत को सहयोग की पेशकश की। हिन्दुस्थान समाचार/अनूप

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