update--women-lawyers-demand-west-bengal-violence-on-supreme-court-provide-justice-and-compensation-to-victims
update--women-lawyers-demand-west-bengal-violence-on-supreme-court-provide-justice-and-compensation-to-victims

अपडेट- पश्चिम बंगाल हिंसा पर महिला वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से की मांग, पीड़ितों को न्याय और मुआवजा दिलाए

नई दिल्ली, 24 मई (हि.स.)। देशभर की 2093 महिला वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर मांग की है कि शीर्ष अदालत पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के मामले में हस्ताक्षेप करे और पीड़ितों को न्याय एवं मुआवजा दिलाए। पत्र में कहा गया है कि 2 मई को पश्चिम बंगाल में नतीजे आने के बाद बड़े स्तर पर हिंसा हुई है। इसमें महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाया गया है। हिंसा का यह सिलसिला अभी भी थमा नहीं है। पुलिस पूरे मामले पर हाथ पर हाथ धरे बैठी है और गुंडे बेधड़क घूम रहे हैं। इस पर मीडिया ने भी चुप्पी साधी हुई है और असल तस्वीर देश के सामने नहीं आ रही है। पीड़ित भय के मारे अपनी शिकायत दर्ज नहीं करा रहे हैं। पत्र में मांग की है कि शीर्ष अदालत इस पूरे घटनाक्रम में हस्ताक्षेप करे। एफआईआर दर्ज करायी जायें और उनकी जांच का जिम्मा विशेष जांच टीम को सौंपा जाए। पीड़ितों की शिकायत दर्ज करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए जो पश्चिम बंगाल पुलिस से न हो। न्यायालय की देख-रेख में समयबद्ध तरीके से पूरे मामले की जांच हो और पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए। राज्य के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए जाएं कि वह शिकायतें दर्ज कराने के लिए एक कारगर प्रक्रिया तैयार करे और साथ ही पीड़ितों को सुरक्षा का आश्वसन दिलाएं। इसके अलावा मानवाधिकार, दलितों, पिछड़ों, महिलाओं व बाल अधिकारों की रक्षा के लिए बने आयोगों से कहा जाए कि वह नोडल अधिकारी नियुक्त कर पीड़ितों के बयान दर्ज करे। संयुक्त पत्र को 28 राज्यों और 8 केन्द्र शासित प्रदेशों की महिला वकीलों ने समर्थन दिया। उनके प्रतिनिधित्व के साथ पत्र में पश्चिम बंगाल में 2 मई को चुनावी नतीजे आने के बाद हुई हिंसा से जुड़ी मीडिया रिपोर्टों को साझा किया गया है। पत्र में कहा गया है कि 21 मई को इसे देशभर की महिला वकीलों के साथ पत्र को जरूरी जानकारी के साथ समर्थन के लिए डिजिटली साझा किया गया था। केवल 60 घंटों में 2 हजार से ज्यादा महिलाओं ने इसे अपना समर्थन दिया है। हिन्दुस्थान समाचार/अनूप

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in