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रिहायशी इलाकों से हटेंगे यूपी के डेयरी फार्म

लखनऊ, 7 मार्च (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के डेयरी फार्मों को जल्द ही आवासीय क्षेत्रों से हटा दिया जाएगा और उन्हें स्वयं या उद्यमियों के साथ साझेदारी में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि गोजातीय अपशिष्ट से सीएनजी (बायो-सीएनजी) का उत्पादन किया जा सके। सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के हालिया दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में एक नई नीति पर काम कर रही है। इन दिशानिर्देशों में गोजातीय अपशिष्ट-गोबर और मूत्र के पर्यावरण के अनुकूल निपटान पर जोर देते हुए सभी डेयरियों को शहरों और गांवों के आवासीय क्षेत्रों से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की गई है। पशुपालन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्य सचिव डी. एस. मिश्रा ने इस संबंध में पशुपालन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक कर 18 मार्च को होने वाली अगली बैठक में अपनी परियोजना रिपोर्ट पेश करने को कहा, जिसके बाद नई सरकार नीति बनाएगी। बैठक में प्रारंभिक चर्चा के अनुसार 15 से अधिक गोजातीय पशुओं वाले सभी डेयरी फार्मों को रिहायशी इलाकों से बाहर ले जाया जाएगा। उनमें से, बड़े फार्मो को स्वयं या उद्यमियों या गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से बायोगैस/कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि गोजातीय गोबर से सीएनजी का उत्पादन किया जा सके और उसे स्थानीय लोगों को बेचा जा सके। अधिकारी ने कहा, छोटे डेयरी फार्मों को डंग वुड, फूलदान, वर्मी कम्पोस्टिंग आदि बनाने के लिए मशीनीकृत इकाइयां स्थापित करने के लिए कहा जाएगा। इसके अलावा 15 से कम गोजातीय पशुओं वाले परिसरों को डेयरी के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी डेयरी फार्मों को पानी की बर्बादी रोकने के लिए भी निर्देशित किया जाएगा। स्थानीय निकाय/निगम/एसपीसीबी (राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) यह सुनिश्चित करेंगे कि अशोधित कचरा (अनट्रिटिड वेस्ट) परिसर के बाहर न बहाया जाए। उत्तर प्रदेश में गोवंश की आबादी करीब 5.20 करोड़ बताई गई है। अधिकारी ने कहा, डेयरी फार्मों और गौशालाओं में गोजातीय गोबर का निपटान सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि, गोजातीय गोबर अगर प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाता है, तो खाद और ऊर्जा का संसाधन या रिसोर्स हो सकता है। उन्होंने कहा, बायोगैस में सीएनजी के समान कैलोरी मान (कैलोरिफिक वैल्यू) और अन्य गुण होते हैं। इसलिए, इसे ऑटोमोटिव, औद्योगिक और वाणिज्यिक में सीएनजी के प्रतिस्थापन के रूप में हरित नवीकरणीय ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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