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तिरुपुर में प्रवासी श्रमिकों की शराब की लत से परेशान व्यापारी, प्रभावित हो रहा गारमेंट एक्सपोर्ट

चेन्नई, 23 मार्च (आईएएनएस)। तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में प्रवासी श्रमिक शराब की ओर रुख कर रहे हैं, जिस कारण कपड़ा इकाइयों में काम करने वाले श्रमिक गैर हाजिर हो हो रहे हैं, जिससे कपड़ा उत्पादन में नुकसान हो रहा है। उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूर अर्जुन दास की पत्नी सिमरन रे ने आईएएनएस को बताया, मेरे पति की उम्र केवल 28 वर्ष है और हमारे दो बच्चे हैं। वह प्रतिदिन लगभग 600 रुपये कमा रहा था और हमें कपड़ा कंपनी के मालिक द्वारा एक परिवार का कमरा और गैस कनेक्शन और पानी की आपूर्ति प्रदान की गई थी। हालांकि, हाल ही में, मेरे पति शराबी हो गए और जीवन दयनीय हो गया है। वह नियमित रूप से कारखाने में नहीं जा रहे हैं और अब अपनी नौकरी खोने के कगार पर हैं। तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एंड मैन्युफैक्च र्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मुथुरथिनम ने आईएएनएस को बताया, उत्तरी और पूर्वी राज्यों के श्रमिक मेहनती हैं और अपने पेशे में निपुणता रखते हैं। उनमें स्थानीय लोगों की तरह कोई बुरी आदत नहीं थी और वे हमेशा ड्यूटी के लिए समय पर होते थे, लेकिन देर से ही सही, वे धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से शराब के आदी हो गए हैं। उन्होंने कहा कि दर्जी के रूप में काम करने वाले प्रवासी श्रमिक प्रति सप्ताह लगभग 4,500 रुपये कमाते हैं और उनमें से ज्यादातर अविवाहित होते हैं। धीरे-धीरे अपनी छुट्टियों में शराब की ओर रुख करते हैं और धीरे-धीरे शराब के आदी हो जाते हैं। पावरलूम यूनिट ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आर. वेलुसामी ने आईएएनएस को बताया, उत्तर के श्रमिकों को प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि वे मजदूरी के लिए सौदेबाजी नहीं करते हैं। बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक पल्लदम, मंगलम और थेक्कल्लूर में पावरलूम इकाइयों में कार्यरत हैं। मुथुरथिनम और वेलुसामी दोनों ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों की अनुपस्थिति और उनकी रुचि की कमी के कारण इन इकाइयों में उत्पादन में कमी आई है। इससे देश की होजरी राजधानी तिरुपुर से सामग्री का निर्यात प्रभावित हुआ है। मुथुरथिनम ने कहा, कोविड -19 महामारी के बाद कपड़ा निर्यात उद्योग वापस सामान्य स्थिति में आ गया था, लेकिन हमारे बहुसंख्यक मजदूरों में उत्साह की कमी, (जो यहां चले गए हैं) ने हमें प्रभावित किया है। --आईएएनएस एचके/आरजेएस

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