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कोरोनाकाल में लोगों में उम्मीद की अलख जगाते ये गीत

कोलकाता, 20 मई (आईएएनएस)। कोलकाता के एक निजी अस्पताल से हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें कोविड से जंग लड़ रही एक मां का हौसला अफजाई करने के लिए एक बेटे ने तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई गाना गाया था। किशोर कुमार और सुषमा श्रेष्ठ का गाया यह गाना इस मुश्किल घड़ी में कई लोगों में उम्मीद की किरण जगा रहा है। 24 साल के युवा सोहम चटर्जी कोरोना से आखिरी सांसें गिनती अपनी मां के लिए इस गाने को गाया था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनका यह वीडियो इस कदर वायरल हुआ कि उन्होंने जाते-जाते अपनी मां को इस दुनिया में अमर बना दिया। सोहम की मां कोरोना की चपेट में आकर अपना दम तोड़ चुकी हैं। जब उन्हें डॉक्टर दीपशिखा घोष के पास लाया गया था, तब वह समझ गई थीं कि सोहम की मां संघमित्रा चटर्जी को बचा पाना मुमकिन नहीं होगा। इसलिए उन्होंने सोहम को वीडियो कॉल किया। इस दौरान सोहम ने अपनी मरती हुई मां के लिए सन् 1973 में रिलीज हुए किशोर कुमार के गाए इस सदाबहार नगमे को गाया, जो उस वक्त पूरे कोविड वॉर्ड में गूंजता रहा। सभी की आंखें नम थीं। नर्सें खामोश थीं, डॉक्टर्स चुप थे। अपनी मां को अलविदा कहने के एक बेटे के इस अंदाज ने सबको भावुक कर दिया था। गाना गाते-गाते बेटे का गला भी भर आया था, लेकिन उसने बिना रुके पूरे गाने को खत्म किया। सोहम एक पेशे से एक कंटेंट राइटर हैं, जो हाल ही में कोलकाता से बेंगलुरु लौटे हैं। उन्होंने आईएएनएस संग हुई बातचीत में कहा, म्यूजिक कुछ ऐसा है, जिससे मैं अपनी मां संग जुड़ पाता हूं। इसी के सहारे हम एक-दूसरे के प्रति अपनी भावनाओं का इजहार किया करते थे। यह गाना हमारा है और हमेशा हमारा बनकर रहेगा। मां यह जानती थीं। मां मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं। आपके बिना जिंदा रहना वाकई मुश्किल है। सोहम कहते हैं कि यह गाना अपनी मां के साथ उनके रिश्ते को बयां करता है। उनके परिवार में संगीत का चलन हमेशा से रहा है। पंडित तारापद चक्रवर्ती उनके परनाना थे। सोहम ने चार साल की उम्र से अपनी मां और नानी से संगीत का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। वह कहते हैं, मां मेरी संगीत की गुरु हैं। यह गाना हम अकसर गाया करते थे। अकसर वह मुझे मनाने के लिए इस गाने को गाया करती थीं। पार्टी वगैरह में जब लोग कहते थे कि मां-बेटा मिलकर कोई गाना गाओ, तो इसी के साथ हमारी शुरुआत होती थी। मां मुझे सुलाने के लिए कई और भी गाने गाती थीं। गायक बनने की चाह रखने वाले सोहम से जब पूछा गया कि किस चीज ने उन्हें गाने के लिए प्रेरित किया, तो इसके जवाब में नौजवान ने कहा, यह बिल्कुल अचानक हुआ। मैंने कभी नहीं सोचा था कि इससे इतने सारे लोगों को प्रेरणा मिलेगी। मैं यह सबकुछ मायूसी में किया। मां अस्पताल में थीं। वीडियो कॉल में बातचीत होने के दौरान मैंने मां से पूछा कि क्या वह कोई गाना सुनना पसंद करेंगी। उन्होंने ना में जवाब दिया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था कि किसी गाने से सुनने से उन्होंने मना किया हो। मैं समझ गया था कि अब मुझे कभी भी उनके लिए दोबारा गाने का मौका नहीं मिलेगा। गाना मुश्किल था, लेकिन मैंने इसे पूरा किया। यह उनके प्रति मेरी श्रद्धांजलि थी। सोहम ने आखिर में कहा, मां का जाना मेरे लिए एक अपूरणीय क्षति है। इस वाकये ने मुझे सिखाया है कि हमें अपनी भावनाओं को बयां करने की जरूरत है। मैं फेसबुक और इंस्टाग्राम पर एक पेज बनाना चाहता हूं, जहां लोग इस तरह से गाना रिकॉर्ड कर अपनी भावनाओं का इजहार कर सकें। लोग यहां अपनी कहानियां बता सकेंगे और चेक करने के बाद इन्हें रिलीज कर दिया जाएगा। इससे कुछ हद तक लोगों के दिलों से भावनाओं का बोझ उतर जाएगा। --आईएएनएस एएसएन/एसजीके

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