मोटिवेशन का नहीं है कोई इंजेक्शन, आत्म विश्लेषण से सशक्त और स्थिर बनें छात्र: पीएम मोदी

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नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा संवाद शुरू करते हुए छात्रों से कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस वर्ष आपको परीक्षा का तनाव नहीं होगा। प्रधानमंत्री ने छात्रों को आने वाले त्योहारों की शुभकामनाएं दी और कहा है परीक्षाओं के बीच में त्यौहार आने पर त्यौहार का आनंद नहीं ले ले पाते लेकिन यदि हम परीक्षा को ही त्यौहार मान लें तो हम भरपूर आनंद ले सकते हैं। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में प्रधानमंत्री ने छात्रों अभिभावकों एवं शिक्षकों के साथ परीक्षा पे चर्चा नामक संवाद किया। प्रधानमंत्री से सबसे पहला प्रश्न दिल्ली के विवेकानंद स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा खुशी जैन ने पूछा। खुशी ने प्रधानमंत्री से पूछा कि जब हम घबराहट की स्थिति में होते हैं तो परीक्षा की तैयारी कैसे करें। कुछ ऐसा ही प्रश्न छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित रेलवे स्कूल के छात्र ए श्रीधर शर्मा और वड़ोदरा की कैनी पटेल का भी था। प्रधानमंत्री ने जवाब में कहा कि आपके मन में यह में क्यों होता है। क्या आप पहली बार परीक्षा देने जा रहे हैं। आप में से कोई नहीं है जो पहली बार परीक्षा देने जा रहा है। आप सभी बहुत सारे एग्जाम दे चुके हैं। आप एग्जाम के आखरी छोर की ओर पहुंच चुके हैं। आप एक बात तय कर लीजिए की परीक्षा जीवन का एक सहज हिस्सा है। जीवन के यह छोटे-छोटे पड़ाव है जिनसे हमें गुजारना है और हम पहले गुजर भी चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहा आप सुनी सुनाई बातों से प्रभावित मत होइए। आप यह मत देखिए कि दूसरे क्या कर रहे हैं। फिर आप बहुत सरलता से उमंग से उत्साह से परीक्षा दे पाएंगे और सफल होंगे। मैसूर के तरुण और दिल्ली के साहिर अली ने पूछा कि पिछले 2 वर्षों से हम पढ़ाई ऑनलाइन मोड में कर रहे हैं। हमें ऑनलाइन का एडिक्शन सा हो गया है, इससे बाहर निकलने के लिए हम क्या करें। कई अन्य छात्रों एवं यहां तक कि शिक्षकों ने भी ऑनलाइन शिक्षा की चुनौतियों को लेकर प्रधानमंत्री से प्रश्न पूछे। इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे मन में एक सवाल आता है थोड़ा अपने आप को पूछिए जब आप ऑनलाइन रीडिंग करते हैं तो सच सचमुच में रीडिंग करते हैं या रील देखते हैं। आपने अनुभव किया हुआ की क्लास में भी बहुत बाहर आपकी आंखें टीचर की तरफ होगी लेकिन दिमाग में एक भी बात नहीं जाती क्योंकि आपका दिमाग कहीं और रहता है। मन यदि कहीं और हो तो सुनना ही बंद हो जाता है। पीएम मोदी ने कहा कि माध्यम समस्या नहीं है। मन समस्या है। माध्यम ऑनलाइन हो या ऑफलाइन अगर हमारा मन पूरी तरह से उस से जुड़ा हुआ है तो ऑनलाइन या ऑफलाइन से खास फर्क नहीं पड़ता है। जब युग बदलता है तो माध्यम भी बदलते हैं। पहले जब गुरुकुल थे तब किताब भी नहीं थी तब सब कंठस्थ होता था और पीढ़ी दर पीढ़ी कान के द्वारा सीखा जाता था। यह एक तकनीक का हिस्सा है कि आज टेक्नोलॉजी के माध्यम से सीख सकते हैं। ऑनलाइन को एक अवसर मानना चाहिए चुनौती नहीं मानना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑनलाइन पाने के लिए है ऑफलाइन बनने के लिए है। ऑनलाइन से जो हमने हासिल किया है ऑफलाइन के माध्यम से हम उसे पनपने का अवसर दे सकते हैं। मान लीजिए आपने ऑनलाइन डोसा कैसे बनता है इसकी रेसिपी देखी और इस जान का आपने इस्तेमाल करते हुए डोसा बना दिया तो आपका पेट भरेगा। ऑनलाइन का इस्तेमाल अपने ज्ञान का आधार मजबूत करने के लिए करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी की बजाय हमें कहना चाहिए कि यह नेशनल एजुकेशन पॉलिसी है। हमारी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी पर देश भर से 15 से 20 लाख इनपुट्स आए थे। देश के लाखों लोग हैं जिन्होंने इस पॉलिसी को बनाया है। यह पॉलिसी सरकार ने नहीं बनाई है। इसे देश के टीचर्स ने बनाया है और देश के भविष्य के लिए बनाया है। प्रधानमंत्री ने शिक्षा नीति के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले हमारे यहां खेलकूद को एक्स्ट्रा एक्टिविटी माना जाता था। अब शिक्षा नीति में इसे शिक्षा का हिस्सा बना दिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि खिलने के लिए खेलना जरूरी होता है बिना खेले कोई खिल नहीं सकता कोई खुल नहीं सकता। प्रधानमंत्री ने अभिभावकों से कहा कि आप अपने सपने, अपनी आकांक्षाओं को एक प्रकार से अपने बच्चों में इंजेक्ट करने की कोशिश करते हैं। वहीं स्कूल में टीचर बच्चों को बताते हैं कि आप ऐसा करो, वैसा करो, हमारे स्कूल की यह परंपरा है आप इसके मुताबिक कार्य करो। पहले टीचर और छात्र के परिवार के बीच में संपर्क रहता था। अब ऐसा नहीं है। जब स्कूल, शिक्षक और पेरेंट्स छात्रों की इच्छाएं, उनकी अपेक्षा, उनकी सीमाओं को जानने की कोशिश नहीं करते तो छात्र ऐसी स्थिति में लड़खड़ा जाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं सभी टीचर्स और पेरेंट्स को कहना चाहूंगा कि आपके मन की आशा आकांक्षाओं के कारण आपके बच्चों पर बोझ पड़ जाए इससे बचने की कोशिश करें। पीएम मोदी ने पेरेंट्स से कहा कि यह अभिभावकों की कमी है यदि वह बच्चे के टैलेंट को पहचान नहीं पाते हैं। पीएम ने यह भी कहा कि मैं यह नहीं कहूंगा कि छात्र टीचर या पेरेंट्स की बात न सुने छात्रों को टीचर पर पेरेंट्स की बात सुननी भी है और समझनी भी है। प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि आप समय स्वयं के विषय में स्वयं ही विश्लेषण कीजिए। यदि आप ऐसे में किसी और की मदद ढूंढ लेंगे तो फिर आपने एक ऐसी प्रवृत्ति पैदा होगी जो हर बार आप किसी की मदद के भरोसे रहेंगे। प्रधानमंत्री ने अपनी पुस्तक एग्जाम वारियर का जिक्र करते हुए छात्रों से कहा कि आप कभी परीक्षा को ही एक पत्र लिख दो और इस पत्र में बता दो कि मैंने क्या-क्या तैयारियां की है। परीक्षा को बता दो कि मैं इतना तो सीख कर आया हूं कि तुम होते कौन हो मेरे मुकाबला करने वाले। परीक्षा को बता दो कि तुम होते ही कौन हूं मेरा एग्जाम लेने वाले मैंने इतनी तैयारी की है कि मैं तुम्हारा एग्जाम लूंगा। कई अन्य छात्रों ने कॉलेज अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं व अन्य परीक्षाओं में बढ़ते कंपटीशन को लेकर प्रश्न पूछा। प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों को पढ़ाई अलग-अलग एग्जाम को ध्यान में रखते हुए नहीं करनी चाहिए। अपने आपको एग्जाम में खपाने की बजाय अपने आप को योग्य शिक्षित व्यक्ति बनाने का प्रयास करें। ऐसा होने पर आप किसी भी परीक्षा एग्जाम या मुकाबले की तैयारी के लिए स्वयं को तैयार कर सकेंगे। --आईएएनएस जीसीबी/एएनएम

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