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एलएसी पर कुछ छोटे-मोटे उल्लंघन होते हैं, जिनका आईटीबीपी उचित जवाब देती है : डीजी

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के महानिदेशक (डीजी) संजय अरोड़ा ने सोमवार को कहा कि भारत-चीन सीमा पर छोटे-मोटे उल्लंघन होते हैं और सुरक्षा बल के जवान उनका उचित जवाब देते हैं। यहां राष्ट्रीय पुलिस स्मारक में बल की साइकिल रैली के चौथे चरण को हरी झंडी दिखाने के बाद बोलते हुए, अरोड़ा ने कहा कि आईटीबीपी एक सीमा सुरक्षा बल है और इसे सीमा की अखंडता बनाए रखने के लिए तैनात किया गया है। अरोड़ा ने कहा, आईटीबीपी के पास इन चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर तैयारी और क्षमता है। पिछले साल भी बल ने स्थिति को सही तरीके से संभाला था। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के लगभग 100 सैनिकों के बारे में पूछे जाने पर, जिन्होंने 30 अगस्त को उत्तराखंड के बाराहोटी में भारतीय क्षेत्र में कथित तौर पर घुसपैठ की थी, अरोड़ा ने घटना को स्पष्ट किए बिना कहा कि बल जब भी आवश्यक हो, उचित कार्रवाई कर रहा है। हालांकि, बल के अधिकारियों ने कहा कि चूंकि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ कई स्थानों पर सीमा को अच्छी तरह से परिभाषित करने का पैमाना न होना या इसे सीमांकित नहीं किया गया है, तो इस तरह से कभी-कभी पीएलए के जवान भारतीय क्षेत्र में आ जाते हैं और जब आईटीबीपी उन्हें याद दिलाता है कि ये उनका क्षेत्र है तो वे आम तौर पर वापस चले जाते हैं। आमतौर पर विदेशी बल भारतीय सुरक्षा बल के उस संदेश पर अमल करते हैं, जिसमें उन्हें अहसास दिलाया जाता है कि उन्होंने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया है। आईटीबीपी के महानिदेशक ने सोमवार को 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में भाग लेने के लिए गोगरा (लद्दाख) से केवडिया (गुजरात) तक की कुल 2,700 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली आईटीबीपी साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाई। इस साल 30 अगस्त को, घोड़ों पर सवार 100 से अधिक चीनी सैनिकों ने कथित तौर पर टुनजुन-ला र्दे के माध्यम से बाराहोटी में भारतीय क्षेत्र में 5 किमी तक घुसपैठ की और उन्होंने भारतीय सेना और आईटीबीपी के जवानों के मौके पर पहुंचने से पहले कुछ सड़क बुनियादी ढांचे को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। स्थानीय लोगों ने आईटीबीपी को इस उल्लंघन की सूचना दी, जिन्होंने भारतीय क्षेत्र में पीएलए सैनिकों को देखा था। बाराहोटी भारत-चीन सीमा के पास एक सीमावर्ती गांव है, जो अभी भी अनिर्धारित है और मैदानी इलाकों में आईटीबीपी के जवानों द्वारा यहां गश्त की जाती है, जो आग्नेयास्त्र (फायरआर्म्स) नहीं रखते हैं। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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