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गोरक्षपीठ में भी खूब बरसता दिखेगा बहुमत का रंग

गोरखपुर, 16 मार्च (आईएएनएस)। गोरक्षपीठ में इस बार शोभायात्रा में मुख्यमंत्री योगी को विधानसभा चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत का रंग भी खूब बरसता दिखेगा। सामाजिक समरसता के पर्व में योगी गोरक्षपीठाधीश्वर दशकों से होलिकोत्सव-भगवान नृसिंह शोभायात्रा में शामिल होते रहे हैं। 1996 से 2019 तक शोभायात्रा का नेतृत्व करने वाले योगी गत दो होलिकोत्सव लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इसमें शामिल नहीं हुए थे। सफल कोरोना प्रबंधन का पूरी दुनिया में लोहा मनवाने और इस वैश्विक महामारी को पूरी तरह काबू में करने के बाद मुख्यमंत्री योगी 17 मार्च की शाम पांडेहाता से निकलने वाले होलिकादहन जुलूस और 19 मार्च की सुबह घण्टाघर से निकलने वाली भगवान नृसिंह होलिकोत्सव शोभायात्रा में सम्मिलित होंगे। शोभायात्रा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा को मिली कामयाबी का अभूतपूर्व विजय जुलूस बने, इसे लेकर जोरदार तैयारियां की गई हैं। मंदिर की ओर से मिली जानकारी के अनुसार गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई में गोरखनाथ मंदिर में होलिकोत्सव की शुरूआत होलिकादहन या सम्मत की राख से तिलक लगाने के साथ होती है। इस परंपरा में एक विशेष संदेश निहित होता है। होलिकादहन हमें भक्त प्रहलाद और भगवान श्रीविष्णु के अवतार भगवान नृसिंह के पौराणिक आख्यान से भक्ति की शक्ति का अहसास कराता है। होलिकादहन की राख से तिलक लगाने के पीछे का मन्तव्य है भक्ति की शक्ति को सामाजिकता से जोड़ना। इस परिप्रेक्ष्य में गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कथन सतत प्रासंगिक है, भक्ति जब भी अपने विकास की उच्च अवस्था में होगी तो किसी भी प्रकार का भेदभाव, छुआछूत और अस्पृश्यता वहां छू भी नहीं पायेगी। भक्ति और सामाजिक समरसता का संदेश देने के लिए ही गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ 1996 से 2019 तक गोरखपुर में होली के दिन निकलने वाली भगवान नृसिंह शोभायात्रा में अनवरत शामिल होते रहे हैं। गत दो वर्ष कोविड के संक्रमणकाल में जनमानस की सुरक्षा के ²ष्टिगत वह शामिल नहीं हुए लेकिन इस बार जबकि केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार के धारदार प्रयासों से कोविड पर पूरी तरह काबू पा लिया गया है, सीएम योगी ने शोभायात्रा में शामिल होने की हामी भर दी है। गोरखपुर में भगवान नृसिंह रंगोत्सव शोभायात्रा की शुरूआत अपने गोरखपुर प्रवासकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख ने 1944 में की थी। गोरखनाथ मंदिर में होलिकादहन की राख से होली मनाने की परंपरा इसके काफी पहले से जारी थी। नानाजी का यह अभियान होली के अवसर पर फूहड़ता दूर करने के लिए था। नानाजी के अनुरोध पर इस शोभायात्रा का गोरक्षपीठ से भी गहरा नाता जुड़ गया। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के निर्देश महंत अवेद्यनाथ शोभायात्रा में पीठ का प्रतिनिधित्व करने लगे और यह गोरक्षपीठ की होली का अभिन्न अंग बन गया। 1996 से योगी आदित्यनाथ ने इसे अपनी अगुवाई में न केवल गोरखपुर बल्कि समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामाजिक समरसता का विशिष्ट पर्व बना दिया। अब इसकी ख्याति मथुरा-वृंदावन की होली सरीखी है और लोगों को इंतजार रहता है। योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाले भगवान नृसिंह शोभायात्रा का। --आईएएनएस विकेटी/एएनएम

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