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गुजरात विधानसभा में नेहरू के नाम पर भाजपा, कांग्रेस में तनातनी

गांधीनगर, 31 मार्च (आईएएनएस)। बजट सत्र के आखिरी दिन गुरुवार को गुजरात विधानसभा में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रस्तावित कल्पसर परियोजना प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्य आमने-सामने आ गए। कपडवंज निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस विधायक कालाभाई धाबी ने प्रस्तावित कल्पसार परियोजना पर एक प्रश्न पूछा कि इस परियोजना को पूरा करने का निर्णय कब लिया गया और इसकी स्थिति क्या है। गांधीनगर (उत्तर) के कांग्रेस विधायक सीजे चावड़ा ने कहा, कल्पसर की मेगा परियोजना की तरह, नर्मदा पर सरदार सरोवर बांध भी एक मेगा प्रोजेक्ट था, जो जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल का ड्रीम प्रोजेक्ट था। 1960 से 25 वर्षो के दौरान, जब 1985 तक इस परियोजना की परिकल्पना की गई थी, तब परियोजना में 85 मीटर नींव और 85 मीटर बांध निर्माण देखा गया था। इसलिए जब सरकार यह साबित कर रही है कि एक मेगा परियोजना होने के नाते, कल्पसर पूर्व-व्यवहार्यता से केवल व्यवहार्यता रिपोर्ट अध्ययन तक पहुंच गया है। मंच पर कांग्रेस की उपलब्धि का भी जिक्र होना चाहिए। यह सुनकर गुजरात के पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने एक स्पष्टीकरण का मुद्दा उठाया और कहा, मैं सदन और जनता के ध्यान में लाना चाहता हूं कि नर्मदा बांध परियोजना का सपना जवाहरलाल नेहरू का नहीं, बल्कि सरदार पटेल का था। नेहरू ने केवल परियोजना का शलान्यास किया और अनुमति से इनकार करके परियोजना को रोक दिया, ताकि गुजरात का विकास न हो। 1995 तक, जब भाजपा सरकार सत्ता में आई, तब तक आवश्यक अनुमति प्राप्त की गई थी और परियोजना को अंजाम दिया गया था। इसलिए सारा श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है, ना कि नेहरू को। इसलिए जवाहरलाल नेहरू को इसमें ना घसीटें। इससे कांग्रेस के विधायक भड़क गए और नारेबाजी करने लगे। चावड़ा ने एक बार फिर कहा, नर्मदा बांध कांग्रेस की एक योजना थी, इसलिए इसका श्रेय कांग्रेस को जाता है, सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू और अंबेडकर को जाता है। जो हमारा था, उसे छीनने की कोशिश मत करो। इस दौरान नौशाद सोलंकी, इमरान खेड़ावाला और राजेश गोहिल समेत कांग्रेस के कई विधायक नितिन पटेल की सीट (जो स्पीकर के सामने अग्रिम पंक्ति में है) की ओर कूच कर गए और नारेबाजी करने लगे। स्थिति को बिगड़ता देख औपचारिक नेता प्रतिपक्ष परेश धनानी और कांग्रेस विधायक प्रताप दुधात भी वेल में पहुंचे और आंदोलनकारी विधायकों और नितिन पटेल के बीच दीवार बनकर खड़े हो गए। हालात बिगड़ते देख स्पीकर नीमाबेन आचार्य ने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। हालांकि, सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर पूरा मामला शांत हो गया। --आईएएनएस एचके/एसजीके

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