पहले चरण में 40 फर्म सामान सप्लाई कर रही थी। जबकि दूसरे चरण में कोई रिकॉर्ड नहीं मिले। पहले साल में ₹ 7 लाख के रिफंड मंजूर किए गए उसके बाद बचे हुए को अप्रूव किया गया।