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मृत्युदंड के मामले में दिशानिर्देश तैयार करेगा सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्वत: संज्ञान लेते हुये कहा कि जल्द ही मृत्युदंड को लेकर गाइडलाइन यानी दिशानिर्देश किया जायेगा, जो पूरे देश की अदालतों के लिये मान्य होगा। जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की खंडपीठ ने गाइडलाइन तैयार करने में एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की मदद भी मांगी है। खंडपीठ ने साथ ही राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण को भी नोटिस भेजा है। खंडपीठ ने कहा कि मृत्युदंड की सजा से संबंधित मामलों में देशभर की अदालतों के लिये गाइडलाइन तैयार की जायेगी। खंडपीठ ने कहा कि मृत्युदंड की सजा पाने वाले अभियुक्तों के लिये बचाव के उपाय बहुत ही सीमित हैं। खंडपीठ इरफान नामक एक अभियुक्त की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इरफान को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मृत्युदंड देने की प्रणाली संस्थागत होनी चाहिये। मामले की सुनवाई के दौरान एमिकल क्यूरी के परमेश्वर ने कहा कि मध्यप्रदेश में ऐसी नीति है कि जो सरकारी वकील जितने अधिक मामलों में मृत्युदंड की सजा दिलवाता है, उसी के आधार पर उसे वेतनवृद्धि मिलेगी। इस मामले में दूसरे एमिकस क्यूरी सिद्धार्थ दवे हैं। खंडपीठ ने कहा कि इस नीति को रिकॉर्ड किया जाना चाहिये और मामले की सुनवाई दस मई तक के लिये स्थगित कर दी। गत माह सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड दिये जाने के तरीके में बदलाव लाने को लेकर स्वत: संज्ञान लिया था। इस मामले में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के प्रोजेक्ट 39ए ने आवेदन दायर किया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा पर विचार करना शुरू किया। --आईएएनएस एकेएस/एएनएम

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