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सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की सुरक्षा का आदेश दिया, मुसलमानों के प्रवेश पर लगी रोक हटाई (लीड-3)

नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर, जहां शिवलिंग पाया गया है, उसे संरक्षित करने की जरूरत है, लेकिन नमाज अदा करने के लिए मुसलमानों के मस्जिद में प्रवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा, जिस क्षेत्र में शिवलिंग पाया गया है, उसकी रक्षा की जानी चाहिए। पीठ ने आगे कहा कि मुसलमानों के मस्जिद में नमाज या धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए प्रवेश करने पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए। प्रबंधन समिति, अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने शीर्ष अदालत से वाराणसी में निचली अदालत के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया। अदालत के आयुक्तों की नियुक्ति करके क्षेत्र के सर्वेक्षण के ट्रायल कोर्ट के आदेश पर मस्जिद समिति ने सवाल उठाया था, जिसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 21 अप्रैल के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था। यह सर्वे 14, 15 और 16 मई को किया गया था। अहमदी ने पीठ से आदेश पारित करने के तरीके को देखने का आग्रह किया और कहा कि यह निष्पक्षता की कमी को दर्शाता है। यह आदेश हिंदू भक्तों द्वारा दायर पूजा के एक मुकदमे में पारित किया गया था। मस्जिद समिति ने यह कहते हुए मुकदमे का विरोध किया कि यह पूजा स्थल अधिनियम के प्रावधानों द्वारा वर्जित है और तर्क दिया कि 15 अगस्त, 1947 के बाद अधिनियम के तहत किसी भी पूजा स्थल के साथ छेड़छाड़ की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा, आप परिसर को कैसे सील कर सकते हैं, आप यथास्थिति को बदल रहे हैं। यह संपत्ति को लगभग सील कर रहा है और मंदिर के आधार पर मस्जिद के अंदर प्रार्थना को भी प्रतिबंधित कर रहा है। अहमदी ने यह भी तर्क दिया कि आयोग सर्वेक्षण के लिए चला गया, इस बात के बावजूद कि शीर्ष अदालत ने पहले ही मामले पर गौर कर लिया था और निचली अदालत ने दूसरे पक्ष को नोटिस दिए बिना परिसर को सील करने के आवेदन पर कार्रवाई की। आदेशों पर रोक लगाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा, वे परिसर को कैसे सील कर सकते हैं? कई अवैध आदेश हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब यथास्थिति को बदलने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि मस्जिद के अंदर मुसलमानों का प्रवेश प्रतिबंधित है। अहमदी ने तर्क दिया कि सिविल जज द्वारा पारित सभी आदेश कानून की नजर में सही नहीं थे। पीठ ने अहमदी से कहा कि अगर कोई शिवलिंग मिला है, तो संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। अदालत ने कहा, हम जिला मजिस्ट्रेट को मुसलमानों को नमाज अदा करने से रोके बिना जगह की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देंगे। पीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को संशोधित किया जिसमें उस क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया गया था, जहां शिवलिंग पाया गया था और वहां मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अप्रैल के आदेश के खिलाफ प्रबंधन समिति अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस भी जारी किया, जिसने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का निरीक्षण करने के लिए एक वकील को कोर्ट कमिश्नर के रूप में नियुक्त करने के वाराणसी अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने तर्क दिया कि निचली अदालत की ओर से वुजुखाना (प्रार्थना करने से पहले हाथ, पैर और चेहरा धोने की जगह) को सील करने का आदेश देना सही नहीं है, जहां कथित तौर पर शिवलिंग मिला है। पूजा स्थल अधिनियम का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यथास्थिति को बदल दिया गया है और प्राचीन काल से वुजुखाना का उपयोग किया जाता रहा है। अहमदी ने यह कहते हुए वुजुखाना के इस्तेमाल की इजाजत मांगी कि नमाज से पहले इसका इस्तेमाल जरूरी है। उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हालांकि कहा कि अगर कोई वुजू के दौरान शिवलिंग पर अपना पैर रखता है, तो यह कानून-व्यवस्था को बिगाड़ देगा। उन्होंने यह तर्क देते हुए शीर्ष अदालत से क्षेत्र को सील करने का आग्रह किया। शीर्ष अदालत ने दलीलें सुनने के बाद इलाके को सील करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 19 मई को निर्धारित की। --आईएएनएस एकेके/एसजीके

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