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असम की छह युवतियों ने जल कुंभी से बनाया योगा मैट्स

-गांव के लोगों को झील में जल कुंभी की समस्या से दिलाया निजात नई दिल्ली, 04 मई(हि.स.)। असम की छह युवतियों ने न केवल आजिविका के लिए एक नया अवसर तलाशा बल्कि गांव लोगों को भी जल कुंभी की समस्या से निजात दिलाया। मछुआरे समुदाय की छह युवतियां ने मिलकर शहर की झील में मौजूद जल कुंभी से बायोडिग्रेडेबल योगा मैट (चटाई) बनाने का काम शुरू किया। इस मैट को जल्दी ही विदेशी बाजार में भी उतारा जाएगा। दरअसल, केन्द्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की स्वायत्तशासी निकाय उत्तर पूर्व प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग एवं पहुंच केंद्र (एनईसीटीएआर) ने पहल करते हुए जल कुंभी से संपदा बनाने के लिए छह लड़कियों के नेतृत्व में एक सामूहिक ‘सिमांग‘ (स्वप्न ) में कई महिलाओं को जोड़ा। एनईसीटीएआर के अधिकारी ने बताया कि जल कुंभी के गुणों के सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद बायोडिग्रेडेबल मैट बनाने का काम शुरू करने का फैसला लिया गया। मैट की बुनाई के लिए जल कुंभी का संग्रह, सूखाना तथा तैयार करना सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, इसके लिए ‘सोलर ड्रायर‘ का उपयोग किया गया, जिससे तीन दिन में कच्चा माल तैयार हो गया। महिलाओं ने पारंपरिक हथकरघे से बुनाई कर बायोडिग्रेडेबल तथा कंपोस्टेबल योग मैट तैयार किया। इस कार्यक्रम के तहत तीन गांवों (कियोत्पारा, नोतुन बस्ती और बोरबोरी) की 38 महिलाओं ने भागीदारी की। इन महिलाओं व सरकारी प्रयास से इस क्षेत्र की महिलाओं के लिए न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा हुए बल्कि गांव के मछुआरों को भी जल कुंभी से निजात मिली। बता दें कि असम में झील दीपोर बील, जो रामसार स्थल (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की एक दलदली भूमि) और एक पक्षी वन्यजीव अभ्यारण्य है। यह झील मछुआरे समुदाय के 9 गांवों के लिए आजीविका का स्रोत है। पिछले कुछ वर्षों से वे जलकुंभियों की अत्यधिक बढोतरी तथा जमाव से पीड़ित हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ विजयालक्ष्मी

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