बांग्लादेश के संविधान में धर्मनिरपेक्षता कभी इस्लाम का विरोध नहीं करती
ढाका, 4 जुलाई (आईएएनएस)। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) को जवाब देते हुए कहा है, बांग्लादेश के संविधान में धर्मनिरपेक्षता कभी भी इस्लाम का विरोध नहीं करती.. और बेहतर होगा कि इस तरह की बातें संसद में न कहें। सांसद हारुनूर राशिद ने दावा किया कि कुरान में धर्मनिरपेक्षता का कोई उल्लेख नहीं है .. यह इस्लाम का विरोध करता है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए हसीना ने कहा बेशक, धर्मनिरपेक्षता पर एक स्पष्ट दिशा है। कुरान में - लकम दिनुकुम वलियादिन का मतलब है कि हर किसी को अपने विश्वास और धर्म का पालन करने का अधिकार है और वह अपने धर्म का पालन करेगा। हसीना ने शनिवार को संसद के 13वें सत्र और बजट सत्र के समापन भाषण के दौरान यह टिप्पणी की। प्रधानमंत्री की समापन टिप्पणी से पहले, राशिद ने बांग्लादेश के संविधान में धर्मनिरपेक्षता के अस्तित्व की आलोचना करते हुए दावा किया कि कुरान में धर्मनिरपेक्षता का कोई उल्लेख नहीं है। बीएनपी विधायक ने यह भी कहा कि संविधान में धर्मनिरपेक्षता रखना मुस्लिम बहुल देश के लिए परस्पर विरोधी है। अपने बयान का जिक्र करते हुए हसीना ने कहा, संसद के माननीय सदस्य ने कहा है कि कुरान में धर्मनिरपेक्षता का कोई जिक्र नहीं है। मैं यहां अन्य धर्मों का सम्मान करने के लिए स्पष्ट रूप से कुरान में उल्लिखित कुछ का उल्लेख करना चाहूंगी। जबकि, पैगंबर ने दूसरों के प्रति सम्मान और धैर्य रखने के लिए कहा, जो विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों से हैं। पैगंबर ने यह सिखाया। हमें कुरान में बताया गया है कि इस्लाम शांति का धर्म है। इस्लाम सभी धर्मों को गरिमा देता है। उन्होंने कहा वह अपनी राय व्यक्त करेंगे। यह वास्तव में धर्मनिरपेक्षता के लिए अंदर आता है। वह (सांसद हारुनूर राशिद) कितना भी इनकार करें, लेकिन यह वास्तविकता है। यह सदियों से चल रहा है। --आईएएनएस एसएस/आरएचए