RSS प्रमुख मोहन भागवत ने की चीन की तारीफ, परंपरा और आधुनिक उपचारों को सीखने की दी सलाह

नागपुर के नंदनवन में स्थित आदर्श इन्स्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि फार्मेसी बहुत अच्छा क्षेत्र है।
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नागपुर, एजेंसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि परंपरागत औषधियों का ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का मेल होना चाहिए। चीन में परंपरागत और आधुनिक उपचारों का समन्वय हुआ है। भारतीय फार्मेसी क्षेत्र को चीन से यह सीखना चाहिए। नागपुर के नंदनवन में स्थित आदर्श इन्स्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि फार्मेसी बहुत अच्छा क्षेत्र है।

फार्मेसी का अध्ययन करने वाले छात्रों को नौकरी के लिए भटकना नहीं पड़ता

फार्मेसी का अध्ययन करने वाले छात्रों को नौकरी के लिए भटकना नहीं पड़ता। यही छात्र चाहे तो अपने ज्ञान के दम पर खुद का रोजगार चला सकता है। फार्मेसी विज्ञान को सीखने के बाद हमारे परंपरागत ज्ञान को हम इससे जोड़ सकते हैं क्या? इसपर विचार होना चाहिए।

दुनिया इसे चायनिज मेडिसीन कहती है

भागवत इस तरह का प्रयोग किया जा सकता है। दुनिया के बहुत सारे देश ऐसा करते आए हैं। हमारे पड़ोसी राष्ट्र चीन ने ऐसा किया है। सरसंघचालक ने बताया कि चीन ने अपनी परंपरा के दम पर अलग सिस्टम खड़ा किया है। परंपरागत ज्ञान का आधुनिक फार्मेसी विज्ञान से मेल करवाया। अब दुनिया इसे चायनिज मेडिसीन कहती है। हमारे यहां भी परंपरागत ज्ञान है उसका स्टंडर्डायझेशन करने की जरूरत है। भारत को भी चीन से सीख लेते हुए परंपरागत दवाइयों का ज्ञान और फार्मेसी जैसे विज्ञान का मेल करना होगा।

मुनाफा कमाने के लिए दवा कंपनियां बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग करती है

सरसंघचालक ने कहा कि भारतीय औषधी ज्ञान सुश्रुत, चरक और नागार्जुन के जमाने से चला आ रहा है। हमारे समाज में औषधी ज्ञान सेवा माना जाता है। उन्होंने कहा कि ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए दवा कंपनियां बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग करती है। ऐसे में दुनिया के एक देश में यदि कोई दवा प्रतिबंधित हो तो दवाई कंपनियां अपने उत्पादन की अन्य देशों में बिक्री करती है। ऐसा नहीं होना चाहिए। डॉ भागवत ने कहा कि भारतीय परिवारों में परंपरा से आया औषधियों का ज्ञान आज भी बरकरार है। नतीजतन कोरोना महामारी के समय हमें काढ़ा बनाने की विधि सीखने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। वहीं, निःशुल्क औषधियां उपलब्ध करवाना हमारी परंपरा और संस्कारों का हिस्सा है। यह संस्कार हमारी शिक्षा, समाज और परिवारों से हमें प्राप्त हुए हैं।

भारत ने कोरोना की वैक्सीन खोजी और अपने देशवासियों को मुफ्त में उपलब्ध करवाई

सरसंघचालक ने बताया कि भारत ने कोरोना की वैक्सीन खोजी और अपने देशवासियों को मुफ्त में उपलब्ध करवाई। ऐसा दुनिया के अन्य देशों ने नहीं हुआ। सरसंघचालक ने आह्वान किया कि हमारा परंपरागत औषधी ज्ञान और फार्मेसी विज्ञान का गठजोड़ करने के लिए अनुसंधान होना चाहिए। यदि ऐसा हो पाया तो भारतीय समाज लाभान्वित होगा और देश के गौरव में और वृद्धि होगी।

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