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केरल की सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने 200 वंचित परिवारों के लिए घर बनाए

तिरुवनंतपुरम, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। केरल के पठानमथिट्टा के कैथोलिक कॉलेज से सेवानिवृत्त प्राणीशास्त्र (जूलॉजी) की प्रोफेसर डॉ.एम.एस. सुनील वंचितों के प्रति करुणा रखने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने 200 वंचित लोगों के लिए घर बनाए हैं। उन्होंने अपने कॉलेज में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) कार्यक्रम अधिकारी के रूप में काम करते हुए खुद में समाज-सेवा का जुनून विकसित किया। उन्हें पता चला कि उसी कॉलेज से अपनी दादी के साथ पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही एक लड़की एक कामचलाऊ झोपड़ी में रह रही थी, जिसमें ढंग का दरवाजा तक नहीं था। लड़की की दुर्दशा से आहत प्रोफेसर ने उसके लिए घर बनाने का फैसला किया। छात्रों और साथी स्टाफ के सदस्यों के सहयोग से उन्होंने 2005 में 1.17 लाख रुपये की लागत से घर का निर्माण किया। उस समय, करुणामयी प्रोफेसर सुनील को कोई नहीं जानता था। छात्रा आशा अब एक सरकारी स्कूल में उच्च माध्यमिक शिक्षक है और अभी भी सुनील द्वारा निर्मित घर में रह रही है। 2005 से लेकर अब तक, प्रोफेसर ने वंचितों के लिए 200 घरों का निर्माण किया है। उन्होंने 200वां घर केरल के अलाप्पुझा जिले के कवलम में दो विधवाओं- जानकी और रुक्मिणी को सौंपा है। जमीन के दस्तावेज जानकी (80) के नाम पर हैं, जबकि रुक्मिणी उनकी करीबी रिश्तेदार हैं। 5 लाख रुपये की लागत से इस घर को बनाने में शिकागो मलयाली एसोसिएशन (सीएमए) ने सहयोग दिया। केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने 18 अप्रैल, 2021 को जानकी और रुक्मिणी को घर सौंप दिया। सुनील ने आईएएनएस को बताया, एक योग्य परिवार को 200वां घर सौंप दिया गया है। यह परिवार पहले जीर्ण-शीर्ण तम्बू में रह रहा था। मैं वास्तव में बहुत खुश और गर्व महसूस कर रही हूं कि मैं उनकी आंखों के आंसू पोंछ सकी। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने समाज को अनुकरणीय योगदान के लिए प्रोफेसर सुनील को महिला दिवस पर वर्ष 2018 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था। लाभार्थियों के चयन के बारे में बात करते हुए, प्रोफेसर ने कहा कि चयन विशुद्ध रूप से जरूरत के आधार पर किया जाता है, न कि जाति, पंथ या धर्म के आधार पर। सुनील ने न केवल समाज के सभी वर्गो से वंचितों को खोज-खोज घर दिया, बल्कि अब व रक्तदान शिविरों का भी संचालन कर रही हैं और हर महीने 50 परिवारों को मुफ्त भोजन किट प्रदान कर रही हैं। कॉलेज की सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने उन लोगों के लिए 23 घरों का निर्माण किया है, जो 2018 की बाढ़ में सब कुछ खो चुके थे और अब वह 201 घरों के निर्माण में लगी हैं, जिनमें से आठ घर लगभग तैयार हो चुके हैं। उन्होंने कहा, शुरू में, मुझे जरूरतमंदों को घर उपलब्ध कराने के लिए अपने स्वयं के संसाधनों का उपयोग करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे समाज के सभी वर्गों के लोग मुझे सहयोग देने लगे। मुझे लगता है कि लोग तब मदद के लिए आगे आते हैं, जब उन्हें पता चलता है कि वास्तव में नेक काम हो रहा है। मैं भगवान का धन्यवाद करती हूं। साथ ही उन नेक लोगों का, जिन्होंने मेरा साथ दिया। दिलचस्प बात यह है कि सुनील एक पुरुष नाम है, जो उनके पिता एम.एम. सैमुअल (दिवंगत) ने रखा था। जो एक बच्चे की उम्मीद कर रहे थे और जब बच्ची हुई तब भी वही नाम रखा, जो उन्होंने पहले से सोच रखा था। सुनील ने कहा, यह एक दिलचस्प नाम है और लोग एक महिला को दिए जा रहे इस नाम पर मुझसे हर तरह के सवाल पूछते थे, लेकिन मुझे लगता है कि मेरे पिता के इस फैसले ने मुझे समाज में अतिरिक्त लाभ दिया है। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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